14 मई को दोहा में एक महत्वपूर्ण घटना घटी, जिसने भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा और कॉरपोरेट कूटनीति को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने दोहा में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की।
यह मुलाकात सिर्फ एक व्यावसायिक चर्चा नहीं थी, बल्कि भारत की एक सोची-समझी रणनीति थी। यह ऐसे समय में हुई है जब कई बड़ी कंपनियां भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही हैं।
एलन मस्क और उनकी कंपनी टेस्ला 2023 से भारत सरकार से टैक्स-फ्री प्रवेश के लिए बातचीत कर रहे हैं। मस्क ने खुद भारत आकर बातचीत करने से परहेज किया और इसके बजाय अमेरिका से भारत पर टैरिफ का दबाव बनाने की कोशिश की, ताकि सरकार रियायतें दे।
यह एक कॉर्पोरेट चाल है जहां विदेशी कंपनियां स्थानीय प्रवेश द्वार के बजाय बाहरी दबाव से अपना रास्ता साफ़ करना चाहती हैं। लेकिन भारत अब 1991 जैसा नहीं है।
इसी मोड़ पर मुकेश अंबानी बिना किसी मांग या दबाव के भारत की प्रतिष्ठा और शक्ति को सामने रखकर डोनाल्ड ट्रंप से मिले। यह वही ट्रंप हैं जिन्हें मस्क भारत के खिलाफ इस्तेमाल करना चाहते हैं।
आज जब भारत आतंकवाद के खिलाफ खड़ा है, चाहे वह पाकिस्तान समर्थित सीमा पार आतंकवाद हो या खाड़ी देशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा, उसे एक ऐसे प्रतिनिधि की ज़रूरत थी जो न सिर्फ़ अर्थव्यवस्था की बात करे, बल्कि भारत की मजबूत छवि को भी पेश करे।
अंबानी ने यह भूमिका निभाई। ट्रंप से उनकी मुलाकात सिर्फ़ एक कॉर्पोरेट अपॉइंटमेंट नहीं थी, बल्कि यह संदेश था कि भारत के अपने प्रतिनिधि हैं और हमें अपनी बात रखने के लिए किसी मस्क या विदेशी अरबपति की ज़रूरत नहीं है।
जहां एक तरफ एलन मस्क जैसे कारोबारी भारत को बाजार मानते हुए शर्तों की लंबी लिस्ट लेकर आते हैं, वहीं मुकेश अंबानी जैसे भारतीय उद्योगपति बिना किसी मांग के देश के हित में काम करते हैं और जरूरत पड़ने पर दुनिया की सबसे बड़ी ताकतों से सीधे संवाद भी करते हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने 14 मई को दोहा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 15, 2025
(वीडियो सोर्स: यूएस नेटवर्क पूल वाया रॉयटर्स) pic.twitter.com/0h3JuZZXFB
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