पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने विश्व को स्पष्ट संदेश दिया कि अब सबूत पे सबूत का जमाना गया, और पाकिस्तान में आतंकी शिविरों के खिलाफ कार्रवाई में अब कोई देर नहीं की जाएगी। इस बार भारत का निशाना केवल आतंकी नहीं थे, बल्कि वह सांप का मुंह कुचलने के लिए तैयार था। रणनीति में यह साहसिक बदलाव साफ था कि आतंकवाद के सूत्रधारों को खत्म करना है, न कि केवल उनके आदेशों का पालन करने वालों को।
भारतीय सशस्त्र बलों ने एक सटीक और मारक अभियान, ऑपरेशन सिंदूर, को अंजाम देकर पाकिस्तान के बरबोले युद्ध उन्माद को ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग और सैन्य तौर पर इतना कमजोर कर दिया कि परमाणु हमले की गीदड़भभकी देने वाला पाकिस्तान सिर के बल युद्धविराम की गुहार लगाने को मजबूर हो गया।
इस ऑपरेशन की नींव 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और 9 मई को पाकिस्तान द्वारा ड्रोन हमले के बाद रखी गई थी, जिसमें भारत की 26 सैन्य चौकियों को निशाना बनाया गया था। भारत की प्रतिक्रिया आवेगपूर्ण नहीं बल्कि यह सुनियोजित, बहुआयामी और समयबद्ध थी।
10 मई की सुबह तड़के 90 मिनट की सटीक हवाई कार्रवाई शुरू हुई, जिसमें पाकिस्तान के 11 महत्वपूर्ण हवाई अड्डों को निशाना बनाया गया। यह कोई साधारण जवाबी कार्रवाई नहीं थी। यह पाकिस्तान की हवाई युद्ध क्षमता को व्यवस्थित रूप से नष्ट करने की रणनीति थी, जिसने उसकी युद्ध लड़ने के साथ-साथ सुरक्षा क्षमता को भी पलटकर रख दिया।
भारत द्वारा किए गए इस कार्रवाई के प्राथमिक लक्ष्यों में पाकिस्तानी वायुसेना के कुछ सबसे महत्वपूर्ण ठिकाने शामिल थे:
इन हमलों ने एयर स्ट्राइक स्क्वाड्रन, ड्रोन बेस, रडार नेटवर्क और युद्ध के लिए तैयार विमानों को निष्प्रभावी कर दिया, जिससे पाकिस्तान की वायुसेना एक रात में निष्क्रिय हो गई।
ऑपरेशन सिंदूर का पहला चरण 7 और 8 मई की दरम्यानी रात 1:04 बजे शुरू हुआ, जिसका लक्ष्य पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चल रहे नौ आतंकी शिविरों को तबाह करना था। इनमें बहावलपुर और मुरिदके के आतंकी गढ़ शामिल थे, जो जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के मुख्यालय के रूप में कुख्यात हैं।
इन नौ स्थानों को आतंकी ढांचे के महत्वपूर्ण नोड्स के रूप में चिह्नित किया गया था, जो घुसपैठ, प्रशिक्षण और भारतीय संपत्तियों पर हमलों की योजना बनाने के लिए जिम्मेदार थे। इनमें पाकिस्तान के बहावलपुर, कोटली, सियालकोट, मुरिदके, मुज़फ्फराबाद और भिंबर के आतंकी प्रशिक्षण केंद्र शामिल थे।
25 मिनट की सटीक हमले की यह मुहिम एक जोरदार संदेश थी। यह केवल भारत का जवाबी हमला भर नहीं था, बल्कि पाकिस्तान के लिए एक संदेश था कि भारत आतंक निर्यात मशीनरी खत्म करने में अब और इंतजार नहीं करेगा।
भारत के सैन्य शस्त्रागार में एक नया आयाम जोड़ा गया, आकाशतीर, एक क्रांतिकारी रियलटाइम टार्गेटिंग़ और इंसेप्शन सिस्टम है। डीआरडीओ, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इसरो के सहयोग से विकसित इस प्रणाली में नाविक-संचालित सटीक मार्गदर्शन, सेटेलाइट-लिंक्ड स्वायत्तता और स्टील्थ ड्रोन शामिल हैं, जो इसे अभूतपूर्व हवाई नियंत्रण और सटीक हमलों की क्षमता प्रदान करते हैं।
आकाशतीर एक बहु-स्तरीय रक्षा और हमला कमांड सिस्टम के रूप में काम करता है। यह रियलटाइम सेटेलाइट इमेजिंग, नाविक-नेविगेशन और स्वायत्त ड्रोन का उपयोग करके हवाई खतरों को सटीकता के साथ निष्प्रभावी करता है।
भारत ने इस्लामाबाद के केंद्र को झकझोर दिया। स्कर्दू पर बमबारी करके भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तानके निगरानी तंत्र में खाई बना दी और चुनियां के रडार ढांचे को निष्क्रिय करके भारत ने पाकिस्तान को उसकी ही वायुसीमा में दृष्टिबाधित कर दिया।
पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही परमाणु निरोध की नीति जो अक्सर भारतीय प्रतिशोध को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाती थी, इस बार पूरी तरह से बेनकाब हो गई। भारत के हमलों ने पाकिस्तान की धमकियों के खोखलेपन को उजागर कर दिया। जैसे ही एक के बाद एक ठिकाना ध्वस्त होता गया, इस्लामाबाद की तथाकथित रेड-लाइन धुंधली पड़ गईं।
बढ़ते नुकसान और सैन्य कमांड के भीतर संचार टूटने से मजबूर पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत से संपर्क किया और युद्धविराम की मांग की। पर्दे के पीछे सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने अमेरिका, सऊदी अरब और चीन को मध्यस्थता के लिए शामिल करने की कोशिश की।
भारत ने किसी भी गुप्त कूटनीति में शामिल होने से इनकार कर दिया और प्रोटोकॉल के अंदर रहते हुए अपनी सशस्त्र सेनाओं को और अधिक हमले के लिए तैयार रखा, जिसमें पाकिस्तान के ऊर्जा और आर्थिक लक्ष्यों पर हमले शामिल हो सकते थे।
ऑपरेशन सिंदूर का सार केवल सैन्य नहीं था-यह सैद्धांतिक था। पुराने नियम अब लागू नहीं होते। भारत ने एक नया मिसाल कायम किया है: आतंकी हमलों का जवाब पूर्ण-स्पेक्ट्रम प्रतिशोध होगा, न कि सीमित प्रतिक्रिया। निरोध पारंपरिक श्रेष्ठता से तय होगा, न कि खोखली धमकियों से।
पाकिस्तान अपमानित हुआ, उसकी रणनीतिक गहराई उजागर हुई, और जिहादी समूहों पर उसकी निर्भरता सबके सामने आ गई। युद्धविराम की भीख मांगने का फैसला बुद्धिमानी से नहीं, बल्कि मजबूरी से लिया गया था।
भारत स्पष्ट किया कि सिंधु जल संधि निलंबित रहेगी, युद्धविराम हो या न हो। 22 अप्रैल के आतंकी हमले के जवाब में लिए गए निर्णयों को वापस नहीं लिया जाएगा।
जब तक पाकिस्तान ने अमेरिका और फिर भारत से संपर्क किया, तब तक संदेश विश्व तक पहुंच चुका था: भारत अब दक्षिण एशिया में गति, कथा और परिणामों को नियंत्रित करता है।
भारतीय अधिकारियों ने निजी तौर पर सभी संबंधित देशों को बता दिया है कि अगर पाकिस्तान गोली चलाएगा, तो हम गोली चलाएंगे -यही नया सामान्य है। भारत ने न केवल जवाब दिया है-उसने सगाई के नियमों को फिर से परिभाषित किया है।
OPERATION SINDOOR
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) May 10, 2025
Indian Army Pulverizes Terrorist Launchpads
As a response to Pakistan s misadventures of attempted drone strikes on the night of 08 and 09 May 2025 in multiple cities of Jammu & Kashmir and Punjab, the #Indian Army conducted a coordinated fire assault on… pic.twitter.com/2i5xa3K7uk
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