भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम के बाद, कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री को निशाना बनाया। ट्रोल उनके और उनके परिवार के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां कर रहे हैं।
समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा मेनन राव और कांग्रेस नेता सचिन पायलट सहित कई लोगों ने इस ट्रोलिंग पर आपत्ति जताई है और इन ट्रोल्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
कई लोगों का मानना है कि भारत को संघर्ष विराम के लिए सहमत नहीं होना चाहिए था। विक्रम मिस्री ने संघर्ष विराम की जानकारी दी, इसलिए ट्रोल्स ने उन्हें निशाना बनाया।
अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, फैसला तो सरकार का होता है, किसी अधिकारी का नहीं। उन्होंने कहा कि कुछ असामाजिक और आपराधिक तत्व एक बहुत बड़े अधिकारी और उसके परिवार के खिलाफ अपशब्दों की सारी सीमाएं तोड़ रहे हैं। यह बेहद संवेदनशील, निंदनीय, शर्मनाक, आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है।
अखिलेश यादव ने बीजेपी पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी सरकार अपनी नाकामी के लिए किसी और की ओर ध्यान भटकाकर खुद को बचाना चाह रही है।
अखिलेश ने ट्रोल्स के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि इन सबकी तुरंत गहरी जांच हो। उनके सोशल मीडिया अकाउंट, बैंक खाते और ई-पेमेंट के सभी अकाउंट का पूरा ब्यौरा निकाला जाए। ईडी, सीबीआई, साइबर सिक्योरिटी व अन्य जांच एजेंसियों को असली काम पर लगाया जाए। पता किया जाए कि इनके पीछे कौन सी ताकतें काम कर रही हैं, और ये राष्ट्र विरोधी लोग किस विदेशी ताकत से पैसा लेकर देश में अमन-चैन-शांति को भंग करना चाहते हैं।
अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि भाजपा की चुप्पी उसकी संलिप्तता मानी जाएगी।
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा कि वह विदेश सचिव विक्रम मिस्री के परिवार को सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जाने की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पेशेवर डिप्लोमैट्स और सिविल सेवकों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है, जो राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित रूप से काम करते हैं।
पूर्व विदेश सचिव निरुपमा मेनन राव ने भी सोशल मीडिया पर मिस्री का बचाव किया। उन्होंने लिखा कि विक्रम मिस्री ने भारत की पेशेवर और दृढ़ संकल्प के साथ सेवा की है। उनके अपमान का कोई आधार नहीं है। उनकी बेटी के बारे में जानकारी लीक करना और उनके प्रियजनों के साथ दुर्व्यवहार करना शालीनता की हर सीमा को पार करता है। इस ज़हरीली नफ़रत को रोकना चाहिए। हमारे राजनयिकों के पीछे हमें एकजुट होना चाहिए। उनका मनोबल तोड़ना नहीं चाहिए।
विक्रम मिस्री 1989 में विदेश सेवा में शामिल हुए थे। वह चीन में भारत के राजदूत और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में काम कर चुके हैं।
निर्णय तो सरकार का होता है; किसी अधिकारी का नहीं।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 11, 2025
ये बेहद संवेदनशील, निंदनीय, शर्मनाक, आपत्तिजनक और दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि देश के एक बहुत बड़े अधिकारी और उसके परिवार के ख़िलाफ़ कुछ असामाजिक-आपराधिक तत्व सरेआम अपशब्दों की सारी सीमाएं तोड़ रहे हैं लेकिन उनके मान-सम्मान की रक्षा… pic.twitter.com/scIUETtX1e
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