जानकारों का मानना है कि अमेरिका की दिलचस्पी दक्षिण एशिया की बजाय हिंद-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीति में ज़्यादा है. भारत और पाकिस्तान में बढ़ते संघर्ष के बीच, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एक प्रेस ब्रीफिंग में दोनों पक्षों के बीच हमले रोकने की सहमति की घोषणा की.
विक्रम मिसरी के अनुसार, दोनों पक्षों ने सैन्य कार्रवाई और फ़ायरिंग रोकने के निर्देश जारी कर दिए हैं. यह सहमति शनिवार शाम 5 बजे से लागू हुई. दोनों देशों के मिलिटरी ऑपरेशंस के डायरेक्टर जनरल 12 मई को फिर से बात करेंगे.
भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता से इनकार किया, लेकिन उससे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल और पूर्ण संघर्षविराम पर सहमति की जानकारी दी. ट्रंप ने कहा कि अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी बातचीत के बाद यह सहमति बनी है.
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी सोशल मीडिया पर कहा कि भारत और पाकिस्तान व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर राज़ी हो गए हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 48 घंटों में उन्होंने और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत और पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों, विदेश मंत्रियों, सेनाध्यक्षों और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ बातचीत की है.
भारत के विदेश मंत्रालय ने हमले रोकने को लेकर बनी सहमति की बात तो स्वीकार की, लेकिन अमेरिका का नाम नहीं लिया. मंत्रालय ने अमेरिका के मध्यस्थता के दावे को भी खारिज कर दिया और कहा कि सीज़फ़ायर पर सहमति पूरी तरह से द्विपक्षीय है.
ट्रंप ने फिर से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा कि उन्हें भारत और पाकिस्तान के मज़बूत नेतृत्व पर गर्व है और अमेरिका इस ऐतिहासिक फ़ैसले तक पहुंचने में उनकी मदद कर पाया. उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर शांतिपूर्ण हल निकालने का भी ज़िक्र किया.
22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद, अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपने परिवार के साथ भारत की यात्रा कर रहे थे. ट्रंप के इस पोस्ट के बाद, विदेश नीति मामलों के जानकार माइकल कूगलमैन ने कहा कि ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान के साथ मिलकर काम करने की बात कही है.
इससे पहले, जेडी वेंस ने कहा था कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के मामले से दूरी बनाकर रखेगा और कूटनीतिक रास्ते अपनाएगा. उन्होंने यह भी कहा था कि अमेरिका इस मुद्दे पर अपना प्रयास जारी रखेगा. आठ मई को ट्रंप ने कहा था कि वे भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को सुलझाना चाहते हैं और अगर वे किसी तरह से मदद कर सकते हैं, तो करेंगे.
भारत और पाकिस्तान के बीच बदलते घटनाक्रम के बीच, आईएमएफ़ ने पाकिस्तान को एक अरब अमेरिकी डॉलर का फंड दिया है. विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उनके उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अंदरखाने दोनों पक्षों से बातचीत कर रहे थे.
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में उपराष्ट्रपति जेडी वेंस के रहते हुए पहलगाम में पर्यटकों पर हमला हुआ था. अमेरिका कभी नहीं चाहता कि दक्षिण एशिया में संघर्ष हो और वह चीन के ख़िलाफ़ कमज़ोर पड़ जाए. अमरीका की डेलावेयर यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान कहते हैं कि अमेरिका ने तत्काल सीज़फ़ायर करने के लिए पाकिस्तान को रिश्वत दे दी है, लेकिन भारत के साथ उन्होंने कैसे मैनेज किया, यह अभी समझ में नहीं आ रहा है.
साल 1971 के युद्ध के बाद यह पहला मौक़ा था कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी शहरों पर हवाई हमले किए. इसके जबाव में पाकिस्तान ने भी भारत में हमले करने की कोशिश की.
विश्लेषकों का कहना है कि अमेरिका इस समय रूस-यूक्रेन, ईरान, ग़ज़ा, चीन और व्यापार मुद्दों में उलझा हुआ है, इसलिए वह दक्षिण एशिया में नई परेशानी नहीं चाहता था.
माइकल कुगेलमैन का कहना है कि साल 1999 और 2019 में पाकिस्तान और भारत के बीच मध्यस्थता के प्रयासों के दौरान अमेरिका काफ़ी सक्रिय था, लेकिन इस बार अमेरिका इस मामले में बहुत सक्रिय नहीं दिखाई दिया.
डॉक्टर मनन द्विवेदी कहते हैं कि अमेरिका इस समय भारत का रणनीतिक साझेदार है और पाकिस्तान उसका पुराना साथी है. ऐसे में अगर यह मामला बढ़ता तो उसके सामने एक और मसला खड़ा हो जाता.
प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान कहते हैं कि भारत और पाकिस्तान को इस बात पर चर्चा ज़रूर करनी चाहिए कि क्या भारत चीन की किसी तरह की भूमिका के लिए तैयार है और आप चीन को कैसे संभालेंगे.
.@MEAIndia announces that stoppage of firing & military action between India and Pakistan was worked out directly between the two countries.
— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) May 10, 2025
The Pak DGMO initiated the call this afternoon after which discussions took place and understanding reached.
There is no decision to… pic.twitter.com/HrepAj12bR
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