भारत-पाकिस्तान सीजफायर: पीएम मोदी के आवास पर उच्च स्तरीय बैठक, एनएसए डोभाल और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अपने आवास पर भारत-पाकिस्तान सीजफायर समझौते पर उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं। बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और तीनों सेनाओं के प्रमुख मौजूद हैं।

यह बैठक कई मायनों में महत्वपूर्ण है, खासकर शनिवार को पाकिस्तान के साथ सीजफायर पर सहमति बनने के बाद रात को पाकिस्तान की ओर से उल्लंघन की खबरों के मद्देनजर। हालांकि, आज सुबह जम्मू और सीमावर्ती राज्यों में हालात सामान्य बताए जा रहे हैं।

इस बीच, कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री से पहलगाम घटना, ऑपरेशन सिंदूर और भारत एवं पाकिस्तान के बीच सभी प्रकार की गोलेबारी एवं सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए बनी सहमति पर विस्तृत चर्चा के लिए एक सर्वदलीय बैठक और संसद का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सरकार से कई सवाल पूछे हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि क्या नई दिल्ली ने भारत और पाकिस्तान के बीच तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के लिए दरवाजे खोल दिए हैं और क्या पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक माध्यम खुले हैं।

रमेश की यह टिप्पणी भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक सीमा पार से जारी रहे ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद, शनिवार को तत्काल प्रभाव से जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलेबारी और सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति बनने के बाद आई है।

कांग्रेस का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद के लिए तटस्थ मंच का उल्लेख अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा किया जाना कई सवाल खड़े करता है। रमेश ने पूछा है कि क्या भारत ने शिमला समझौते को छोड़ दिया है और क्या तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने शनिवार को स्पष्ट किया कि किसी अन्य स्थान पर किसी अन्य मुद्दे पर बातचीत करने का कोई निर्णय नहीं हुआ है। इससे पहले, अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें तत्काल संघर्ष विराम और तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर वार्ता शुरू करने पर सहमत हो गई हैं।

कांग्रेस नेता रमेश ने भारत और पाकिस्तान के बीच बनी सहमति पर दो पूर्व सेना प्रमुखों वी पी मलिक एवं मनोज नरवणे की कथित टिप्पणियों का भी उल्लेख किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वयं जवाब देना चाहिए।

रमेश ने इंदिरा गांधी के 1971 के युद्ध के दौरान दिखाए गए साहसिक नेतृत्व को भी याद किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से भारत को मिले ऋण और इंदिरा गांधी द्वारा आईएमएफ को यह समझाने की क्षमता का उल्लेख किया कि तेल की कीमतों में वृद्धि से निपटने के लिए यह ऋण आवश्यक है।

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