खेलते बच्चों की लाशें देख दिल टूट गया - महबूबा मुफ्ती की भावुक अपील
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जम्मू-कश्मीर एक बार फिर तनाव और खून-खराबे का शिकार है। सीमा पार से आई गोलियों और धमाकों ने वहां डर और मातम का माहौल बना दिया है। पाकिस्तान की ओर से लगातार हो रही फायरिंग और ड्रोन हमलों ने आम लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। पुंछ, राजौरी और जम्मू जिलों में हालात बेहद गंभीर हैं।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का दिल उस वक्त भर आया, जब उन्होंने मासूम जुड़वां बच्चों को खेलते देखा और फिर कुछ ही देर में उनकी खून से सनी लाशें सामने आ गईं।

ये बच्चे किस जुर्म की सजा भुगत रहे हैं? महबूबा मुफ्ती श्रीनगर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान खुद को रोक नहीं पाईं और रो पड़ीं। उन्होंने कहा, ये छोटे-छोटे मासूम बच्चे जो खेलने-कूदने की उम्र में थे, वो अब हमारे बीच नहीं हैं। ये न तो कोई आतंकवादी थे, न ही सैनिक। तो फिर इनकी जान क्यों गई? उन्होंने बताया कि इन बच्चों के साथ-साथ कई महिलाएं भी इस गोलीबारी की चपेट में आई हैं। उनके मुताबिक, हर बार इस तरह की हिंसा में सबसे ज़्यादा नुकसान आम जनता, खासकर बच्चे और महिलाएं झेलते हैं।

महबूबा मुफ्ती ने पुलवामा और हाल ही के पहलगाम हमले का जिक्र करते हुए कहा कि अब ये सब बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब भी भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ता है, तो नतीजा मासूम लोगों की जान के रूप में सामने आता है। उन्होंने दोनों देशों के नेताओं से अपील की कि सिर्फ गोलीबारी और जवाबी कार्रवाई से हालात नहीं सुधरने वाले। हमने देखा है कि युद्ध सिर्फ और सिर्फ लाशें छोड़ता है, कोई समाधान नहीं देता, उन्होंने कहा।

पाकिस्तान की ओर से पंजाब, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में भी ड्रोन और मिसाइल हमले की कोशिशें हुईं, जिसे भारतीय सेना ने नाकाम किया। इसके बाद पूरे देश में हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया। कई शहरों में सायरन बजे, ब्लैकआउट किया गया और लोग दहशत में अपने घरों में बंद हो गए।

महबूबा मुफ्ती ने साफ शब्दों में कहा कि अगर दोनों देशों के नेता चाहें, तो एक कॉल पर बात शुरू हो सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से अपील की कि लड़ाई और खून-खराबे को खत्म कर बातचीत से हल निकालें। अगर अब भी बातचीत नहीं हुई तो नुकसान सिर्फ दोनों देशों का ही नहीं, पूरी दुनिया को होगा, उन्होंने चेतावनी दी।

आज जो हालात हैं, वो किसी की भी आंखें खोलने के लिए काफी हैं। गोलियों से न तो ज़मीन हासिल होती है, न इज्जत। महबूबा मुफ्ती की अपील उस हर इंसान के दिल की आवाज़ है जो शांति चाहता है। अब वक्त आ गया है कि दोनों देश पीछे हटें, सोचें और बातचीत से हल निकालें।

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