पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। इस तनाव के बीच कई खबरें सामने आई हैं, जिनमें से कुछ पक्की हैं और कुछ कच्ची।
सबसे विवादास्पद खबर यह है कि पाकिस्तान ने भारत से युद्ध की आशंका के बीच विदेशी भाड़े के सैनिकों को काम पर रखा है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि ये विदेशी सैनिक भारतीय हमलों से पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारियों की रक्षा करेंगे।
यह भी कहा जा रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में लड़ चुके ये अमेरिकी सैनिक भारत के खिलाफ कोई विशेष अभियान शुरू कर सकते हैं। इन खबरों में कितनी सच्चाई है? इन स्पेशल सैनिकों की कहानी क्या है?
इसे समझने के लिए, PMC यानी प्राइवेट मिलिट्री कंपनी शब्द को याद रखना होगा। कई देशों की अपनी सेनाएँ होती हैं, जिनकी सैलरी सरकारी नियमों से बंधी होती है और टैक्स का पूरा हिसाब रखा जाता है। लेकिन PMC का काम बिल्कुल उल्टा होता है।
PMC निजी कंपनियाँ होती हैं जो वित्तीय लाभ के लिए सशस्त्र युद्ध या सुरक्षा सेवाएँ प्रदान करती हैं। ये सरकारी सेना या पुलिस की तरह नहीं होतीं, बल्कि लाभ कमाने के उद्देश्य से काम करती हैं। PMC सुरक्षा, युद्ध संबंधी सेवा, ट्रेनिंग, सुरक्षा परामर्श, खुफिया जानकारी जैसी सेवाएँ देती हैं।
इन कंपनियों में अक्सर सेना से रिटायर हुए सैनिक काम करते हैं, जिन्हें मोटी रकम दी जाती है। इन्हें आम भाषा में मर्सीनरी या भाड़े का सैनिक कहा जाता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया भर में PMC का चलन बढ़ा है। खासकर यूरोपीय देशों में, जहाँ कमांडो यूनिट्स और स्पेशल फोर्सेज से रिटायर हुए सैनिकों को मिलाकर PMC यूनिट्स बनीं।
अगर देशवार तरीके से PMC कंपनियों की चर्चा करें तो, अमेरिका में ब्लैकवाटर, यूके में G4S, साउथ अफ्रीका में एग्जीक्यूटिव आउटकम्स और रूस में वैग्नर ग्रुप जैसी कंपनियां हैं।
पाकिस्तान की नीति नहीं है कि वह अपने देश में सुरक्षा और युद्ध का काम PMC को दे। लेकिन चीन ने पाकिस्तान में भारी निवेश किया हुआ है, जिसका एक बड़ा हिस्सा चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) बनाता है।
2024 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में विद्रोहियों के हमलों में CPEC को भारी नुकसान हुआ। अक्टूबर 2024 में कराची में हुए बम धमाके में दो चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई।
चीन ने पाकिस्तान पर दबाव डाला कि वह अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। दबाव में आकर पाकिस्तान ने चीन के साथ Joint Security Companies Framework पर साइन किए, जिससे चीन की प्राइवेट मिलिट्री कंपनियों की तैनाती पाकिस्तान में हो सकती थी।
खबरों के अनुसार, चीन की ड्यूवी सिक्योरिटी फ्रंटियर ग्रुप, चाइना ओवरसीज सिक्योरिटी ग्रुप और वाशिन हांगशान सिक्योरिटी सर्विसेज की तैनाती पाकिस्तान के अलग-अलग हिस्सों में हो गई है। ये चीनी सैनिक चीन के प्रोजेक्ट्स की रक्षा कर रहे हैं।
कुछ खबरें यह भी दावा करती हैं कि इन PMC की आड़ में चीन की सेना से जुड़े लोग पाकिस्तान के LOC वाले इलाके में बंकर बना रहे हैं, और ड्रोन व UAV की सप्लाई भी चीन की ओर से हो रही है, जिससे पाकिस्तान की मारक क्षमता बढ़ रही है।
सोशल मीडिया पर भी ऐसी खबरें हैं कि पाकिस्तान ने डेल्टा PMC नाम की मर्सिनरी कंपनी को हायर किया है, जिसमें ब्रिटिश आर्मी के पूर्व स्पेशल एयर सर्विस (SAS) जवान शामिल हैं। इस एजेंसी को पाकिस्तानी आर्मी के टॉप अफसरों और उनके परिवारों की रक्षा के लिए हायर किया गया है।
इसके अलावा, Forward Observations Group (FOG) नाम की एक अमेरिकी कंपनी का इंस्टाग्राम हैंडल भी पाकिस्तान में अपनी मौजूदगी दिखा रहा है। इस हैंडल से 26 अप्रैल को एक पोस्ट किया गया था, जिसमें एक व्यक्ति हाथ में हथियार लिए खड़ा था, और लिखा था - Doc in Pakistan on a PSD contract।
FOG कंपनी, US आर्मी के इंफेंट्रीमैन डेरिक बेल्स ने शुरू की थी। कंपनी दावा करती है कि वह फौजियों के लिए टैक्टिकल कपड़े और वर्दी बनाती और बेचती है। लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यह कंपनी विवादों में आ गई थी, क्योंकि इसके लोग हथियारों से लैस होकर युद्ध क्षेत्र में घूम रहे थे।
FOG के इंस्टाग्राम हैंडल पर पाकिस्तान से कई तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए गए हैं, जिनसे पता चलता है कि यह कंपनी लाहौर और इस्लामाबाद में एक्टिव है। इन तस्वीरों में EW vehicle (Electronic Warfare vehicle) और पाकिस्तान एयरफोर्स के विमान भी दिखाई दे रहे हैं।
इन तस्वीरों से यह स्पष्ट हो गया है कि FOG पाकिस्तान में मौजूद है और पैसे लेकर काम कर रही है। यह साफ नहीं है कि यह कंपनी पाकिस्तान में क्या कर रही है, लेकिन कुछ संभावित कार्य इस प्रकार हैं:
जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान का यह कदम चिंताजनक है। दुश्मन की जमीन पर प्राइवेट मिलिट्री की मौजूदगी खतरे की घंटी है।
Reports are circulating about a foreign private military company, reportedly called Delta PMC said to comprise ex-SAS operators having struck a deal with the Pakistan Army to intervene if Indo-Pak tensions escalate into a war-like situation. While this seems to be a propaganda at… pic.twitter.com/IpaRL8JdOE
— Alpha Defense™ (@alpha_defense) April 29, 2025
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