प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल के तिरुवनंतपुरम में विझिंजम पोर्ट को राष्ट्र को समर्पित किया है. यह भारत का पहला ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है.
यह पोर्ट विकास के एक नए युग का प्रतीक है. बीते 10 वर्षों में देश में समुद्री यातायात को लेकर क्रांतिकारी बदलाव किए गए हैं.
विगत तीन दशकों से अधिक समय से इस पोर्ट के लिए प्रयास चल रहे थे, लेकिन इसे मोदी सरकार के अंतर्गत ही पूरा किया जा सका. यह भारत का पहला गहरे पानी वाला पोर्ट भी है और केरल की अर्थव्यवस्था को तेज रफ्तार देगा. इससे देश का राजस्व भी बचेगा.
विझिंजम पोर्ट केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में स्थित है. यहाँ के तट पर विकसित किया गया यह डीप वाटर पोर्ट है, क्योंकि यहाँ समुद्र 18-20 मीटर गहरा है. यह गहराई बड़े समुद्री जहाजों के पोर्ट पर आने के लिए जरूरी है.
विझिंजम को ट्रांसशिपमेंट पोर्ट की तरह विकसित किया गया है. यहां बड़े जहाज माल लेकर आते हैं और फिर छोटे जहाजों में भरा जाता है. इसकी लागत ₹8900 करोड़ है. इसे केरल सरकार, केंद्र सरकार और अडानी समूह ने मिलकर विकसित किया है. अडानी पोर्ट्स इसका संचालन करेगी.
अरब सागर के तट पर स्थित होने से विझिंजम पोर्ट की महत्ता बढ़ जाती है. इससे कुछ ही किलोमीटर पर पूर्व और पश्चिम को जोड़ने वाला समुद्री रास्ता है. इस ट्रैफिक का हिस्सा भी भारत को मिलेगा.
इसकी गहराई फायदेमंद है, क्योंकि अन्य पोर्ट्स पर समुद्र की तलहटी को खोदना पड़ता है, जिसे ड्रेजिंग कहते हैं. यह काफी महंगा काम है. इसकी बनावट ऐसी है कि तलहटी में बालू नहीं जमती.
तिरुवनंतपुरम रेल, रोड और हवाई माध्यम से जुड़ा हुआ है, जिससे माल जल्दी देश के बाकी हिस्सों में पहुंचेगा. यह पर्यावरणीय दृष्टि से भी आधुनिक है.
विझिंजम ट्रांसशिपमेंट पोर्ट होने के कारण यहाँ 20000 से अधिक कंटेनर क्षमता वाले जहाज आ सकेंगे. पहले भारत में इतने बड़े जहाज को उतारने वाले पोर्ट नहीं थे. यहां मदर कार्गो शिप रुक सकेंगे, जिससे प्रति कंटेनर लागत घटेगी.
इस पोर्ट में 10 लाख कंटेनर संभालने की क्षमता है. बर्थ 1.8 किलोमीटर लंबी है, जिस पर सामान उतारने के लिए 32 क्रेन लगाई गई हैं, जिनमें से 24 ऑटोमेटिक हैं. मछुआरे समुदाय को रोजगार भी मिलेगा.
विझिंजम पोर्ट के बनने से पहले, भारतीय कंटेनर दुबई, सिंगापुर या कोलंबो जैसे पोर्ट पर उतारे जाते थे, क्योंकि भारत में गहरे पानी के पोर्ट नहीं थे. इससे प्रति कंटेनर लगभग ₹10 हजार की अतिरिक्त लागत आती थी और लगभग 75% कंटेनर इसी विधि से देश तक पहुंचते थे.
भारत हर वर्ष इन विदेशी पोर्ट को लगभग ₹1858 करोड़ देता था. अब यह पैसा देश से बाहर नहीं जाएगा.
विझिंजम पोर्ट पर तुर्किये नाम का जहाज आया था. यह किसी भारतीय पोर्ट पर आने वाला सबसे बड़ा जहाज है. अडानी पोर्ट्स के एमडी करण अडानी का कहना है कि एक वर्ष के भीतर भारत के सभी जहाज यहीं से ट्रांसशिपमेंट लेकर जाएंगे.
पीएम मोदी ने कहा कि इस ट्रांस-शिपमेंट हब की क्षमता तीन गुनी होगी. भारत का 75% ट्रांस-शिपमेंट बाहरी बंदरगाहों पर होता था, जिससे देश को राजस्व घाटा होता था. अब यह स्थिति बदल रही है और देश का पैसा देश के काम आएगा, जिससे केरल और विझिंजम के लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर मिलेंगे.
Inauguration of the Vizhinjam Port in Kerala is significant for India’s maritime sector. People have been waiting for this port for many years. It will boost trade, commerce and will be particularly beneficial for Kerala’s economy.
— Narendra Modi (@narendramodi) May 2, 2025
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