यूजीसी के नए नियम: स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में बदलाव, उल्लंघन पर कार्यवाही!
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विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2025 से शुरू होने वाले स्नातक (यूजी) और स्नातकोत्तर (पीजी) डिग्री पाठ्यक्रमों के लिए नए नियम जारी किए हैं। ये नियम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 पर आधारित हैं, जिसका लक्ष्य शिक्षा को अधिक लचीला और छात्र-अनुकूल बनाना है।

सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक यह है कि छात्र एक, दो, तीन या चार साल के बाद अपना कोर्स छोड़ सकते हैं और उन्हें उनके द्वारा अर्जित क्रेडिट के आधार पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री प्रदान की जाएगी। छात्र बाद में अपनी पढ़ाई को वहीं से जारी रखने के लिए वापस भी आ सकते हैं जहाँ उन्होंने छोड़ा था।

उदाहरण के लिए, एक वर्ष (40 क्रेडिट) पूरा करने पर छात्रों को प्रमाण पत्र, दो वर्ष (80 क्रेडिट) पर डिप्लोमा, तीन वर्ष (120 क्रेडिट) पर सामान्य डिग्री और चार वर्ष (160 क्रेडिट) पर ऑनर्स या ऑनर्स विद रिसर्च की डिग्री मिलेगी।

यूजीसी ने क्रेडिट सिस्टम को लेकर भी स्पष्ट नियम बनाए हैं। प्रत्येक विषय के लिए क्रेडिट दिए जाएंगे और इन्हें एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) नामक एक डिजिटल सिस्टम में संग्रहीत किया जाएगा। छात्र भारत में स्थित विश्वविद्यालयों और संस्थानों में इन क्रेडिट को एकत्र, स्थानांतरित या उपयोग कर सकते हैं।

छात्र अब एक ही समय में दो यूजी या पीजी कार्यक्रम कर सकते हैं, चाहे वो अलग-अलग विश्वविद्यालयों से हों या अलग-अलग प्रारूपों (ऑफलाइन, ऑनलाइन या दूरस्थ) में।

इसके अतिरिक्त, कौशल-आधारित शिक्षा को नियमित अध्ययन के साथ एकीकृत किया गया है। छात्रों को अपने मुख्य विषय में कम से कम 50% क्रेडिट अर्जित करने होंगे, जबकि शेष क्रेडिट व्यावसायिक पाठ्यक्रमों, इंटर्नशिप या बहु-विषयक विषयों से प्राप्त किए जा सकते हैं।

नए नियमों के अनुसार, छात्रों को वर्ष में दो बार, जुलाई/अगस्त और जनवरी/फरवरी में प्रवेश लेने की अनुमति होगी। इससे छात्रों को अपनी शिक्षा शुरू करने के अधिक अवसर मिलेंगे।

यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को शिक्षा को अधिक लचीला, व्यावहारिक और भविष्य के लिए तैयार बनाने के लिए इन नियमों का पालन करने की सलाह दी है। यदि विश्वविद्यालय इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो यूजीसी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है, जिसमें उन्हें कुछ डिग्री देने से रोकना भी शामिल है।

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