पहलगाम हमले के बाद इंदिरा गांधी की चर्चा क्यों?
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पहलगाम में हुए चरमपंथी हमले के बाद कांग्रेस और बीजेपी नेताओं के बयानों के चलते पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चर्चा में आ गई हैं. केंद्र सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने सरकार को जवाबी कार्रवाई में समर्थन देने की बात कही. हालांकि, विपक्ष ने सुरक्षा में चूक का मुद्दा भी उठाया.

हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल संधि को निलंबित करने समेत पांच बड़े फैसले लिए. इसके जवाब में पाकिस्तान ने इंदिरा गांधी के कार्यकाल में हुए शिमला समझौते को निलंबित कर दिया और भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया.

पहलगाम हमले के विरोध में हैदराबाद में निकाले गए कैंडल मार्च के दौरान कांग्रेस नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि 1967 में चीन के हमले और 1971 में पाकिस्तान के हमले के दौरान इंदिरा गांधी ने मुंहतोड़ जवाब दिया था. उन्होंने कहा कि 140 करोड़ देशवासी मिलकर आतंकवादियों को जवाब देने के लिए तैयार हैं.

शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने इंदिरा गांधी की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा कि देश को उनकी बहुत याद आ रही है. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता सुधांश त्रिवेदी ने सुरक्षा में चूक की बात स्वीकार करते हुए कहा कि देश में सबसे बड़ी सुरक्षा चूक इंदिरा गांधी की हत्या थी.

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की उनके आवास पर ही उनके दो अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.

शिमला समझौता 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ था. भारत ने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजाद कराने में मदद की थी, जिसके बाद लगभग 90 हजार पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया था. इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के बीच हुए समझौते को ही शिमला समझौता कहा जाता है.

सोशल मीडिया पर रेवंत रेड्डी और संजय राउत के बयानों पर मिली-जुली प्रतिक्रिया आ रही है. कुछ लोग समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इसके पक्ष में नहीं हैं. कुछ यूज़र्स का कहना है कि यदि इंदिरा गांधी आज जीवित होतीं तो पाकिस्तान कल का सूरज नहीं देखता. वहीं, कुछ लोग शिमला समझौते के तहत पाकिस्तानी सैनिकों को छोड़ने पर सवाल उठा रहे हैं.

जुलाई 1971 में ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो और इंदिरा गांधी के बीच शिमला समझौता हुआ था. यह एक औपचारिक समझौता था, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच शत्रुता खत्म करना और शांतिपूर्ण समझौते को आगे बढ़ाना था. समझौते के अनुसार दोनों देश सभी मुद्दों का समाधान द्विपक्षीय वार्ता और शांतिपूर्ण तरीकों से करेंगे. 1971 की जंग के बाद लाइन ऑफ़ कंट्रोल (एलओसी) बना और दोनों देश इसका सम्मान करने पर सहमत हुए थे.

पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 के सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया. अटारी इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट को बंद कर दिया गया. पाकिस्तानी नागरिकों को सार्क वीज़ा छूट स्कीम (एसवीईएस) के तहत जारी वीज़ा के आधार पर भारत यात्रा करने से रोक दिया गया है. नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के रक्षा/सैन्य, नौसेना और वायु सेना सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है.

इसके जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौते सहित भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित कर दिया है. उसने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद करने और भारत के साथ व्यापार को निलंबित करने की घोषणा की है. पाकिस्तान ने भी वहां मौजूद भारतीय रक्षा सलाहकारों को देश छोड़ने को कहा है और अपने राजनयिक स्टाफ को सीमित कर दिया है. पाकिस्तान ने कहा है कि सिंधु नदी के पानी को रोकने की कोशिश को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा.

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