पहलगाम हमला: क्या 4 नहीं, 7 थे आतंकी? बिना नंबर की बाइक, पाकिस्तानी भाषा - जवाब मिलने लगे!
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पहलगाम में आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया है। इस हमले में 26 लोगों की जान चली गई है, और कई घायल हैं। बैसरन घाटी में हुई इस गोलीबारी के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। मसलन, हमलावरों की कुल संख्या कितनी थी? क्या घाटी में किसी स्थानीय व्यक्ति ने उनकी मदद की?

जम्मू कश्मीर पुलिस ने आतंकियों की जानकारी देने वाले को 20 लाख का इनाम देने की घोषणा की है। रिपोर्ट की मानें तो इस घटना में कुल 7 आतंकी शामिल हो सकते हैं। इनमें से 5 पाकिस्तानी और 2 स्थानीय हो सकते हैं। कुछ रिपोर्ट में आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबू तल्हा नामक तीन आतंकियों की पहचान होने की बात कही गई है। ये पहले पुंछ में भी सक्रिय थे। अभी तक सबकी पहचान पूरी तरह से पुख्ता नहीं हो पाई है।

हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन टीआरएस ने ली है। इसका मुखिया पाकिस्तान में है। एक सैन्य अधिकारी के अनुसार, आतंकियों ने जिस तरह की उर्दू बोली, वह पाकिस्तान के कुछ इलाकों में बोली जाती है।

माना जा रहा है कि सभी हमलावर घटना के बाद पीर पंजाल रेंज के ऊंचे इलाकों में छिप गए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि बड़ा और घना जंगल एक तरफ हपतनार और दूसरी तरफ चंदनवारी से जुड़ा हुआ है। उनके भागने के रास्ते को देखते हुए, वे त्राल तक भी पहुंच सकते हैं। सेना, अर्धसैनिक बल और जम्मू-कश्मीर पुलिस लगातार तलाशी अभियान चला रहे हैं, लेकिन घने जंगल एक बड़ी बाधा हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, आतंकी संचार उपकरणों का इस्तेमाल नहीं करते, ताकि सुरक्षा एजेंसियों से बच सकें। वे जंगलों में माइनस 10 डिग्री तापमान होने पर भी बाहर नहीं निकलते और लगातार ठिकाने बदलते रहते हैं। इसलिए, उनकी जानकारी मिलना मुश्किल होता है। हालांकि, आतंकी हमलों को बॉडी या गन-माउंटेड कैमरों से शूट किया जाता है, जिसका इस्तेमाल लश्कर-ए-तैयबा दुष्प्रचार के लिए करता है। संभव है कि इस घटना को भी शूट किया गया हो।

अधिकारी के मुताबिक, घटनास्थल के पास से एक बिना नंबर की बाइक मिली है। इसकी जांच चल रही है, लेकिन अभी यह कहना मुश्किल है कि इसका इस्तेमाल हमले में हुआ था या नहीं।

इस घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। पाकिस्तानियों के वीजा रद्द कर दिए गए हैं, और सिंधु जल समझौते को भी स्थगित कर दिया गया है। दिल्ली में मौजूद पाकिस्तानी उच्चायोग को बंद करने के साथ ही दूतावास से जुड़े रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायु सलाहकारों को एक हफ़्ते के अंदर भारत छोड़ना होगा।

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