UPSC टॉपर शक्ति दुबे का वंदे भारत से प्रयागराज आगमन, स्टेशन पर जश्न का माहौल
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23 अप्रैल 2025 को वंदे भारत एक्सप्रेस दिल्ली से प्रयागराज के लिए रवाना हुई, लेकिन यह यात्रा एक ख़ास वजह से यादगार बन गई। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर सैकड़ों लोग ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। यह इंतजार किसी आम यात्रा के लिए नहीं था, बल्कि यूपीएससी टॉपर शक्ति दुबे के आगमन के लिए था।

यूपीएससी ने 22 अप्रैल 2025 को सिविल सेवा परीक्षा 2024 का अंतिम परिणाम घोषित किया, जिसमें प्रयागराज की शक्ति दुबे ने अखिल भारतीय स्तर पर पहला स्थान हासिल किया। टॉपर बनने के अगले ही दिन, 23 अप्रैल को शक्ति दुबे दिल्ली से वंदे भारत ट्रेन में सवार होकर अपने गृह नगर प्रयागराज पहुंचीं।

प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर उनका जोरदार स्वागत किया गया। पूरा शहर मानो उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा था। स्टेशन पर जश्न का माहौल था। जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर रुकी, परिजनों, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों ने फूल-मालाओं और तालियों की गूंज के साथ उनका स्वागत किया।

ट्रेन से उतरते ही शक्ति दुबे के चेहरे पर सफलता की चमक और विनम्रता साफ झलक रही थी। उन्होंने सबसे पहले अपने पिता देवेंद्र कुमार दुबे और ताऊ ए.के. दुबे का आशीर्वाद लिया, जिन्होंने मिठाई खिलाकर और माला पहनाकर उन्हें गले लगाया।

दिल्ली से प्रयागराज तक वंदे भारत ट्रेन से सफर करते हुए शक्ति दुबे ने मीडिया को बताया कि यह यात्रा उनके जीवन की सबसे यादगार यात्राओं में से एक बन गई है। उन्होंने कहा, जिस ट्रेन को देश के प्रधानमंत्री ने लॉन्च किया था, उसी में टॉपर बनकर घर लौटना एक अनोखा अनुभव है।

शक्ति दुबे ने कहा कि उन्हें आईएएस बनने की प्रेरणा अपने पिता से मिली, जो उनके सबसे बड़े आदर्श हैं। विज्ञान विषय से पढ़ाई करने के बावजूद उन्होंने यूपीएससी के लिए पॉलिटिकल साइंस और इंटरनेशनल रिलेशन को चुना क्योंकि यह उनकी रूचि का क्षेत्र था।

उन्होंने बताया कि यह उनका पांचवां प्रयास था और इस बार उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने अभ्यर्थियों को संदेश दिया कि सफलता के लिए गंभीरता, निरंतरता और संयम सबसे ज़रूरी हैं।

शक्ति दुबे ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पूरी तरह छोड़ना जरूरी नहीं है, लेकिन उसका संतुलित उपयोग होना चाहिए। इंटरनेट एक अच्छा टूल है, लेकिन किताबों से जुड़ाव बनाकर ही सिविल सर्विस जैसी परीक्षा में सफलता पाई जा सकती है, उन्होंने कहा।

आईएएस बनने के बाद शक्ति दुबे की प्राथमिकता है कि सरकारी योजनाएं जनता तक सही तरीके से पहुंचे। साथ ही एक महिला होने के नाते वे महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और सशक्तिकरण के क्षेत्र में भी खास काम करना चाहती हैं।

उन्होंने कहा, टॉपर बनना मेरे लिए एक सरप्राइज था, लेकिन मेरे पिता को मुझ पर पूरा विश्वास था। आज जो कुछ भी हूं, वो माता-पिता, भाई-बहनों और गुरुजनों के सहयोग और आशीर्वाद की वजह से हूं।

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