महाराष्ट्र की राजनीति में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि क्या उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे दो दशक बाद फिर से साथ आ सकते हैं. शिवसेना के इतिहास में पहले भी कई विभाजन हुए हैं, लेकिन राज ठाकरे का अलगाव सबसे भावनात्मक रूप से गहरा माना जाता है.
हाल के दिनों में दोनों तरफ के नेताओं और रिश्तेदारों के बयानों से ऐसे संकेत मिले हैं कि दोनों नेता मिलकर काम कर सकते हैं. खुद नेताओं ने भी इस मामले पर खुलकर बात की है. सवाल यह है कि क्या वे वास्तव में साथ आएंगे, और अगर हां, तो यह गठबंधन के रूप में होगा या एक ही संगठन में?
राज ठाकरे ने एक इंटरव्यू में कहा कि उन्हें नहीं लगता कि साथ आना बहुत मुश्किल है. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और मराठी लोगों के हित में उनके विवाद छोटे हैं.
उद्धव ठाकरे ने भी इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी, लेकिन कुछ शर्तों के साथ. उन्होंने कहा कि वह छोटे-मोटे झगड़ों को किनारे रखने को तैयार हैं, लेकिन बीजेपी का समर्थन करने वालों के साथ समझौता नहीं करेंगे.
राज ठाकरे ने शिवसेना छोड़ते समय कहा था कि उन्हें बालासाहेब ठाकरे से कोई शिकायत नहीं है, बल्कि उनके आसपास के बुरे लोगों से शिकायत है. बाद में उन्होंने महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) का गठन किया.
पहले भी, दोनों नेताओं के एक साथ आने की चर्चाएं होती रही हैं, लेकिन वे परिवार, पार्टी, ईर्ष्या, आरोप-प्रत्यारोप और भावनाओं के चक्र में उलझी रहीं.
एक समय ऐसा भी था जब दोनों ठाकरे भाई शरद पवार के करीब आ गए थे, लेकिन यह नजदीकियां ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाईं.
तीन साल पहले एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद शिवसेना में फिर से विभाजन हो गया. इसके बाद से शिंदे और मनसे के बीच रिश्ते अच्छे बने रहे हैं.
अब सवाल यह है कि अगर दोनों ठाकरे भाई साथ आते हैं तो क्या वे साथ रह पाएंगे. पिछले 20 वर्षों में दोनों के संगठनों के बीच कटु आलोचना और संघर्ष जारी रहा है.
मनसे नेता संदीप देशपांडे ने कहा कि 2017 के नगर निगम चुनावों के अनुभव को देखते हुए यह असंभव लगता है. वहीं, एकनाथ शिंदे के करीबी उदय सामंत ने कहा कि राज ठाकरे किसी की शर्तों के अधीन निर्णय नहीं लेंगे.
शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा है कि महाराष्ट्र विरोधी ताकतों का साथ होना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर दोनों ठाकरे ने प्रतिक्रिया दी है और बात की है तो महाराष्ट्र इसका स्वागत करेगा.
वरिष्ठ शिवसैनिक रहे छगन भुजबल ने ठाकरे बंधुओं को बधाई दी है और कहा है कि साथ आने से उनकी ताकत बढ़ेगी.
वहीं, महाराष्ट्र कांग्रेस नेता कहते हैं कि दोनों भाई इकट्ठा आते हैं और परिवार एक होता है, तो उसका विरोध करने का कोई सवाल ही नहीं है.
वरिष्ठ पत्रकार संदीप प्रधान कहते हैं कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को यह एहसास हो गया होगा कि अगर महाराष्ट्र में स्थानीय पार्टियों का अस्तित्व अब ख़त्म हो गया है तो इसके दूरगामी परिणाम होंगे.
एक तरफ राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने की अटकलें लगाई जा रही हैं तो दूसरी तरफ शिवसेना के दोनों गुटों के साथ आने को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है.
कहा जा रहा है कि अगर मुंबई महानगर पालिका में मनसे और दोनों शिवसेना पार्टियों को बहुमत मिलता है, तो तीनों एक साथ महानगर पालिका का नेतृत्व कर सकती हैं.
ये सभी राजनीतिक संभावनाएं हैं, लेकिन मुंबई महानगर पालिका चुनाव के लिए शिवसेना-मनसे के एक साथ आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है.
VIDEO | Mumbai: Shiv Sena (UBT) chief Uddhav Thackeray (@uddhavthackeray) said that he ready to sink differences with his cousin and MNS supremo Raj Thackeray in the interest of Maharashtra.
— Press Trust of India (@PTI_News) April 19, 2025
Speaking at a party function in Mumbai, the former chief minister hinted at a… pic.twitter.com/0UTS12pUAh
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