कपिल सिब्बल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत का राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख है, और उपराष्ट्रपति का पद भी ऐसा ही है.
सिब्बल ने कहा कि संविधान ने अनुच्छेद 142 में सुप्रीम कोर्ट को शक्ति दी है. उन्होंने उपराष्ट्रपति धनखड़ की बात सुनकर हैरानी जताई और दुख व्यक्त किया, और उन्हें किसी पार्टी की तरफदारी करने वाली बात नहीं करने की सलाह दी.
धनखड़ ने बीते दिन कहा था कि अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है और कोर्ट के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है. सिब्बल ने धनखड़ की इस टिप्पणी की आलोचना की.
कपिल सिब्बल ने न्यायपालिका को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों को असंवैधानिक बताया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के किसी सभापति को कभी भी इस तरह का राजनीतिक बयान देते नहीं देखा गया.
सिब्बल ने यह भी कहा कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच समान दूरी बनाए रखते हैं और वे पार्टी प्रवक्ता नहीं हो सकते.
सिब्बल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी बीच में होती है, सदन के अध्यक्ष होते हैं, किसी एक पार्टी के नहीं. उच्च सदन के साथ भी यही बात है. विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच समान दूरी होनी चाहिए.
सिब्बल ने कहा कि जगदीप धनखड़ का बयान देखकर उन्हें दुख और आश्चर्य हुआ. आज के समय में अगर किसी संस्था पर पूरे देश में भरोसा किया जाता है, तो वह न्यायपालिका है.
उन्होंने कहा कि जब सरकार के कुछ लोगों को न्यायपालिका के फैसले पसंद नहीं आते, तो वे उस पर अपनी सीमाएं लांघने का आरोप लगाने लगते हैं. सिब्बल ने सवाल किया कि क्या उन्हें पता है कि संविधान ने अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को पूर्ण न्याय देने का अधिकार दिया है?
सिब्बल ने कहा कि राष्ट्रपति केवल नाममात्र का मुखिया होता है और कैबिनेट के अधिकार और सलाह पर काम करता है. राष्ट्रपति के पास अपना कोई व्यक्तिगत अधिकार नहीं होता. जगदीप धनखड़ को यह बात पता होनी चाहिए.
सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 की ताकत संविधान से मिली है. ऐसे में अगर किसी को कोई परेशानी है तो वे अपने अधिकार का प्रयोग कर रिव्यू डाल सकते हैं. वे अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट से सलाह भी मांग सकते हैं.
सिब्बल ने कहा कि अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है.
इससे पहले गुरुवार को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा था कि ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यपालिका के कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है.
उपराष्ट्रपति ने कहा था कि अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ एक परमाणु मिसाइल बन गया है और कोर्ट के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध है.
धनखड़ ने यह भी कहा था कि भारत के राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है. राष्ट्रपति संविधान के संरक्षण, सुरक्षा और बचाव की शपथ लेते हैं. मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसद और न्यायाधीश सहित अन्य लोग संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं.
#WATCH | Delhi | On Vice President Jagdeep Dhankhar s statement, Senior advocate and Rajya Sabha MP Kapil Sibal says, I was saddened and surprised to see Jagdeep Dhakhar s statement. If any institution is trusted throughout the country in today s time, it is the judiciary. When… https://t.co/69pbTeMYEK pic.twitter.com/ccvhS2bqj9
— ANI (@ANI) April 18, 2025
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