रणथंभौर में कनकटी का कहर: 7 साल के बच्चे की जान, बाघों ने 38 साल में 20 को बनाया शिकार
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राजस्थान के सवाई माधोपुर स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व में 16 अप्रैल 2025 को एक दिल दहला देने वाली घटना घटी। दो साल की बाघिन कनकटी ने त्रिनेत्र गणेश मंदिर के पास सात साल के कार्तिक पर हमला कर उसकी जान ले ली।

बूंदी का रहने वाला कार्तिक अपनी दादी और परिवार के साथ 17 मई को होने वाली चाचा की शादी का निमंत्रण देने मंदिर आया था। इस घटना के बाद रणथंभौर दुर्ग और त्रिनेत्र गणेश मंदिर का रास्ता पांच दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।

वन विभाग का मानना है कि बच्चे पर हमला बाघिन कनकटी ने किया, जो प्रसिद्ध टाइग्रेस टी-84 और टाइगर टी-120 की संतान है। सवाल यह है कि आखिर दो साल की बाघिन ने ऐसा क्यों किया?

वन्यजीव विशेषज्ञ धर्मेंद्र खांडल के अनुसार, बाघ अपनी टेरिटरी में रहना पसंद करते हैं और उसी में शिकार करते हैं। कनकटी ने रणथंभौर दुर्ग और त्रिनेत्र गणेश मंदिर के आसपास का इलाका चुना है, जहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं की आवाजाही बहुत अधिक होती है। खांडल का मानना है कि इस घटना से लगता है कि बाघों में इंसानों का डर खत्म हो रहा है। कनकटी का भीड़ में घुसकर बच्चे को उठा ले जाना एक गंभीर चेतावनी है।

वहीं, वरिष्ठ अधिकारी सीसीएफ अनूप केआर का कहना है कि बाघों का व्यवहार अप्रत्याशित होता है। हो सकता है बाघिन को बच्चा शिकार जैसा लगा हो या वह भ्रमित हो गई हो।

स्थानीय लोग कनकटी को कान पर निशान होने के कारण कनकटी के नाम से जानते हैं। कुछ लोग इसे अन्वी भी बुलाते हैं। हाल ही में यह बाघिन एक कैटल गार्ड पर भी हमला कर चुकी है और टाइग्रेस रिद्धि की टेरेटरी में घुसकर संघर्ष भी कर चुकी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बाघिन स्वभाव से आक्रामक होती जा रही है।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बाघिन कनकटी त्रिनेत्र गणेश मंदिर से करीब 300 मीटर की दूरी पर घात लगाकर बैठी थी। बच्चे को 100 फीट तक घसीटा गया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

डीएफओ डॉ. रामानंद भाकर ने बताया कि फॉरेस्ट स्टाफ तुरंत मौके पर पहुंचा, लेकिन बाघिन वहीं मौजूद थी, जिससे तत्काल रेस्क्यू नहीं हो पाया।

अब मंदिर मार्ग पर पैदल या निजी वाहन से जाना बंद कर दिया गया है। सरकार इलेक्ट्रिक बस और कैंटर सेवा शुरू करेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि 11 और 12 अप्रैल को भी किले के पास बाघों का मूवमेंट देखा गया था, लेकिन मंदिर तक आवाजाही बंद नहीं की गई थी। अगर तब कदम उठाए जाते तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था।

रणथंभौर में बाघों के हमले में 38 साल में 20 मौतें (1987-2025):

रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान सवाई माधोपुर से लगभग 13.5 किलोमीटर दूर है। इसे 1955 में सवाई माधोपुर खेल अभयारण्य के रूप में मान्यता दी गई और 1973 में प्रोजेक्ट टाइगर का हिस्सा बना। 1 नवंबर 1980 को इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।

रणथंभौर किले के भीतर स्थित त्रिनेत्र गणेश मंदिर का इतिहास वर्ष 1299 से जुड़ा है। मान्यता है कि युद्ध के समय भगवान गणेश स्वयं राजा हमीर के स्वप्न में प्रकट हुए और विजय का आशीर्वाद दिया। यहीं गणेश जी अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं।

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