उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को खरी-खरी सुनाई। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकता। राष्ट्रपति एक बेहद ऊंचा पद है और वह संविधान की रक्षा, संरक्षण और बचाव की शपथ लेते हैं।
धनखड़ ने यह नाराजगी सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद जताई है, जिसमें कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए सदन से पारित बिलों पर फैसला लेने के लिए डेडलाइन तय की है। उन्होंने न्यायपालिका के खिलाफ बेहद कड़ा रुख दिखाया। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था नहीं हो सकती, जिसमें कोर्ट राष्ट्रपति को निर्देश दे।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 142 पर भी निशाना साधा, जो सुप्रीम कोर्ट को स्पेशल पॉवर्स देता है। धनखड़ ने कहा कि यह अनुच्छेद न्यायपालिका के लिए लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ चौबीसों घंटे उपलब्ध परमाणु मिसाइल बन गया है।
साथ ही, उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के जज के यहां भारी मात्रा में मिली नकदी के मामले में हुई कार्रवाई पर भी सवाल उठाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को लेकर सवाल करते हुए तंज कसा कि संविधान में व्यवस्था नहीं होने के बावजूद, जजों के लिए अलग ही सिस्टम काम कर रहा है।
धनखड़ के सुप्रीम कोर्ट पर उठाए गए 5 मुख्य सवाल:
सुपर पार्लियामेंट की तरह व्यवहार कर रहे हैं जज : धनखड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु विधानसभा से पारित 10 बिलों को लेकर एक फैसला दिया है। जिसमें राष्ट्रपति से लेकर राज्यपालों तक के लिए विधानसभा से पारित बिलों पर फैसला लेने के लिए 1 महीने की डेडलाइन तय की गई है। इस पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि जज कानून बना रहे हैं, कार्यकारी कार्य कर रहे हैं और सुपर संसद की तरह व्यवहार कर रहे हैं। उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता।
दिल्ली हाई कोर्ट के जज के यहां मिली नकदी को लेकर की खिंचाई: उपराष्ट्रपति ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के यहां भारी मात्रा में मिली नकदी पर भी बात की। उन्होंने कहा कि घटना 14 और 15 मार्च की दरम्यानी रात में एक जज के घर पर हुई थी, लेकिन सात दिन तक किसी को पता नहीं चला। उन्होंने पूछा कि क्या देरी का कोई कारण है? क्या यह माफी योग्य है?
देश सांस रोककर जज की नकदी मामले में कार्रवाई का इंतजार कर रहा है : उन्होंने कहा कि 21 मार्च को एक अखबार ने इसका खुलासा किया, जिससे देश के लोग सदमे में थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आधिकारिक स्रोत से पब्लिक डोमेन में इनपुट मिला, जिसने दोष साबित होने का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि देश सांस रोककर कार्रवाई का इंतजार कर रहा है।
संविधान में जजों पर एफआईआर के लिए मंजूरी लेने जैसी व्यवस्था नहीं : धनखड़ ने कहा कि जज के खिलाफ नकदी मिलने पर कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। उन्होंने कहा कि संविधान में केवल राष्ट्रपति और राज्यपालों को अभियोजन के खिलाफ इम्युनिटी दी गई है, तो फिर कानून से परे एक कैटेगरी (जजों) को यह इम्युनिटी कैसे मिली?
तीन जजों की समिति क्यों कर रही है इसकी जांच? : उपराष्ट्रपति धनखड़ ने जज कैश कांड की जांच तीन जजों की समिति को सौंपने पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि जांच करना कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है, फिर कैश कांड की जांच तीन जजों की समिति क्यों कर रही है?
#WATCH | Delhi | Vice-President Jagdeep Dhankhar says, ...We cannot have a situation where you direct the President of India and on what basis? The only right you have under the Constitution is to interpret the Constitution under Article 145(3). There, it has to be five judges… pic.twitter.com/U7N9Ve3FZx
— ANI (@ANI) April 17, 2025
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