राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के अध्यक्ष पशुपति पारस ने एनडीए से अलग होने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने भविष्य में महागठबंधन में शामिल होने के भी संकेत दिए हैं, जिससे बिहार की राजनीति में गहमागहमी बढ़ गई है।
पारस ने कहा कि 2014 से लेकर आज तक उनकी पार्टी एनडीए गठबंधन की वफादार सहयोगी रही है। लोकसभा चुनाव में बिना किसी कारण के उनकी पार्टी के साथ नाइंसाफी की गई, क्योंकि उनकी पार्टी दलितों की पार्टी है।
उन्होंने आगे कहा कि बिहार में एनडीए की बैठकों में उनकी पार्टी का नाम तक नहीं लिया गया। इसे राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के साथ अन्याय बताते हुए, उन्होंने कहा कि राजनीति करने वाला कोई साधु का दामाद नहीं होता। इसलिए, उन्होंने गांव की ओर लौटने और 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने का फैसला किया है।
पारस ने बताया कि उनकी पार्टी पिछले 4 महीनों से पूरे राज्य में जनता के बीच जा रही है, पार्टी की सदस्यता शुरू की है और योग्य उम्मीदवारों को चिन्हित कर रही है। भविष्य में जब भी विधानसभा चुनाव होंगे, उनकी पार्टी का पार्लियामेंट्री बोर्ड सहमति से अगला कदम उठाएगा।
महागठबंधन में जाने की संभावनाओं पर पारस ने कहा कि अगर महागठबंधन के लोग उन्हें सही समय पर उचित सम्मान देते हैं, तो वे निश्चित रूप से भविष्य की राजनीति पर विचार करेंगे। फिलहाल, वे 243 सीटों पर अपनी तैयारी कर रहे हैं और पार्टी संगठन को मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर लालू परिवार और उनकी पार्टी से उन्हें उचित सम्मान मिलेगा तो वे उनके साथ जाएंगे, लेकिन पार्लियामेंट्री कमिटी की बैठक में जो भी निर्णय होगा, वे उसका स्वागत करेंगे।
पशुपति पारस के एनडीए से अलग होने पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि उनके जाने से एनडीए पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है।
*#WATCH | पटना: RLJP अध्यक्ष पशुपति पारस ने कहा, 2014 से लेकर आज तक मैं NDA गठबंधन में था, हमारी पार्टी NDA गठबंधन की एक वफादार, ईमानदार सहयोगी थी लेकिन जब लोकसभा चुनाव हुए तो बिना किसी कारण के, क्योंकि हमारी पार्टी दलितों की पार्टी है, NDA गठबंधन के लोगों ने हमारी पार्टी के साथ… pic.twitter.com/dPodbyWdc0
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 14, 2025
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