मेहुल चोकसी गिरफ्तार: भारत लाने की असली लड़ाई अब शुरू!
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हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी, जो सालों से भारत के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले में फरार था, बेल्जियम में गिरफ्तार हो गया है. यह गिरफ्तारी भारतीय जांच एजेंसियों की लगातार निगरानी और अंतरराष्ट्रीय सहयोग का परिणाम है.

2018 में देश से भागने के बाद, यह पहली बार है जब चोकसी को विदेशी धरती पर औपचारिक रूप से हिरासत में लिया गया है. माना जा रहा है कि वह कैंसर के इलाज के बहाने बेल्जियम गया था. भारतीय एजेंसियों ने उसे ट्रैक करने के लिए महीनों तक बेल्जियम प्रशासन के साथ मिलकर काम किया.

चोकसी 2021 में एंटीगुआ से रहस्यमय तरीके से लापता हो गया था, जिसके बाद उसका ठिकाना एक रहस्य बना रहा. अब, भारत सरकार ने उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को तेज कर दिया है. हालांकि, कानूनी अड़चनें और चोकसी की खराब सेहत इस प्रक्रिया में देरी कर सकती हैं.

मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने कहा कि उनके मुवक्किल को बेल्जियम में हिरासत में लिया गया है. वे उनकी गिरफ्तारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहे हैं और जल्द ही अपील दायर करेंगे. अपील का मुख्य आधार चोकसी का गिरता स्वास्थ्य और चल रहा कैंसर का इलाज होगा. उनका प्राथमिक लक्ष्य उन्हें जेल से बाहर निकलवाना है.

इस गिरफ्तारी से सबसे अधिक उन लोगों को राहत मिली है जो पिछले कई वर्षों से इस घोटाले के कारण आर्थिक या भावनात्मक नुकसान झेल रहे हैं. बेंगलुरु के व्यवसायी हरिप्रसाद एस.वी., जिन्होंने 2016 में इस घोटाले की ओर सबसे पहले ध्यान आकर्षित किया था, ने इस गिरफ्तारी को न्याय की पहली सीढ़ी करार दिया.

हरिप्रसाद ने कहा कि चोकसी को भारत लाकर सजा दिलवाना जरूरी है, ताकि देश की जनता का विश्वास कानून और व्यवस्था पर बना रहे. उन्होंने यह भी कहा कि चोकसी की गिरफ्तारी तब तक अधूरी है जब तक उसके द्वारा भारत से बाहर छुपाई गई अरबों की संपत्तियां बरामद नहीं की जातीं.

हरिप्रसाद ने सरकार से अपील की कि अब ध्यान सिर्फ आरोपी की वापसी पर नहीं, बल्कि लूटी हुई पूंजी की रिकवरी पर भी होना चाहिए. इसके लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और पारदर्शी कार्रवाई की ज़रूरत है.

यह गिरफ्तारी भारत की राजनयिक और खुफिया एजेंसियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. 2018 में भारत छोड़ने के बाद चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ले ली थी और वहीं रह रहा था. पिछले साल जब वह मेडिकल चेकअप के बहाने बेल्जियम गया, तभी से उस पर नज़र रखी जा रही थी.

इससे पहले, 2021 में डोमिनिका में भी उसे पकड़ा गया था, लेकिन वह ब्रिटिश लीगल सिस्टम का सहारा लेकर छूट गया था.

पंजाब नेशनल बैंक में हुए इस महाघोटाले की जड़ें LoU यानी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग में थीं, जो बिना अनुमति के जारी किए गए थे. इन फर्जी LoU के ज़रिए मेहुल चोकसी और उसके भांजे नीरव मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बैंकों से 14,000 करोड़ रुपये का कर्ज लिया और देश छोड़कर भाग गए.

सीबीआई के अनुसार, इस घोटाले की भरपाई खुद PNB को करनी पड़ी, जिससे उसकी साख को भारी नुकसान हुआ. अब जब चोकसी गिरफ्तार हो चुका है, तो देश की निगाहें उसके प्रत्यर्पण और वित्तीय रिकवरी पर टिकी हैं.

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