ओवैसी हुए बेचैन: नया कानून संभालेगा ASI संरक्षित स्मारकों को, संभल की मस्जिद अब वक्फ की नहीं!
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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि वक्फ (संशोधन) बिल अगर कानून बन गया, तो संभल की जामा मस्जिद वक्फ की संपत्ति नहीं रहेगी।

ओवैसी के अनुसार, वक्फ (संशोधन) एक्ट के सेक्शन 3D के तहत, जो संपत्ति आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के अधीन संरक्षित घोषित है, वो वक्फ की नहीं हो सकती। इसमें संभल की मस्जिद के अलावा देश भर की कई दूसरी इस्लामिक इमारतें भी शामिल हैं।

ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर फैसले का हवाला देते हुए कहा कि नए एक्ट के मुताबिक, इस्तेमाल का नियम तभी लागू होगा, जब जमीन पर कोई विवाद न हो या वो सरकारी संपत्ति न हो। उन्होंने कहा कि इस एक्ट से ASI के तहत आने वाली सारी वक्फ संपत्तियाँ अपनी पहचान खो देंगी।

भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वक्फ (संशोधन) बिल को मंजूरी दे दी है, जिसके बाद ये कानून बन गया है। मूल एक्ट के सेक्शन 3 में कई बदलाव किए गए हैं।

ओवैसी ने जिस सेक्शन 3D का जिक्र किया, वो कहता है कि अगर कोई संरक्षित स्मारक या इलाका वक्फ की संपत्ति घोषित किया गया है, तो वो दावा अब रद्द हो जाएगा।

वक्फ (संशोधन) एक्ट का सेक्शन 3D सुनिश्चित करता है कि किसी भी ऐसी जगह पर वक्फ का दावा नहीं किया जा सकता, जो पहले से ही हेरिटेज कानूनों के तहत संरक्षित स्मारक या इलाका घोषित हो चुकी हो।

नवंबर 2024 में संभल कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद की सर्वे करने का आदेश दिया था। याचिका में दावा किया गया कि ये मस्जिद भगवान कल्कि को समर्पित सदियों पुराने श्री हरि हर मंदिर की जगह पर बनाई गई थी, जिसे बाबर ने तोड़ दिया था।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये जगह हिंदुओं के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखती है और मुगल काल में इसे जबरदस्ती मस्जिद में बदल दिया गया। साथ ही ये 1904 के प्राचीन स्मारक संरक्षण एक्ट के तहत एक संरक्षित स्मारक है।

श्री हरि हर मंदिर भगवान कल्कि के अवतार से जुड़ी है, जिन्हें भगवान विष्णु का दसवाँ और आखिरी अवतार माना जाता है।

याचिका में कहा गया कि मुगल आक्रमण के दौरान इस मंदिर को काफी नुकसान पहुँचा। बाबर के सेनापति हिंदू बेग ने 1527-28 में इसे आंशिक रूप से तोड़ा और मस्जिद में बदल दिया।

22 दिसंबर 1920 को यूनाइटेड प्रोविंस की सरकार के सचिव ने एक्ट के सेक्शन 3(3) के तहत एक नोटिफिकेशन जारी कर इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया था।

19 नवंबर 2024 को पहला सर्वे तनाव भरे माहौल में हुआ, लेकिन शांति से पूरा हो गया। 24 नवंबर 2024 को दूसरा सर्वे शुरू होते ही स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया और हिंसा हुई।

जनवरी 2025 में मस्जिद का सर्वे रिपोर्ट चंदौसी कोर्ट में जमा किया गया। रिपोर्ट में कहा गया कि मस्जिद में ऐसे निशान हैं, जो उस दौर के मंदिरों और हिंदू स्थानों की पहचान हैं। मंदिर की मूल वास्तुकला को दरवाजों, खिड़कियों और सजी हुई दीवारों पर प्लास्टर और पेंट लगाकर छिपा दिया गया है।

संभल की जामा मस्जिद का मामला सीधे तौर पर बताता है कि सेक्शन 3D क्यों जरूरी था। 1920 से ये एक केंद्रीय संरक्षित स्मारक है, फिर भी इसे वक्फ संपत्ति के तौर पर दावा किया जाता रहा। वक्फ (संशोधन) एक्ट कानूनी साफगोई लाता है और ऐसे संरक्षित स्मारकों को धार्मिक या प्रशासनिक झगड़ों में फँसने से बचाता है।

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