गोधरा नरसंहार: चश्मदीद ईसाई का पत्र जिसने 23 साल पहले खोली थी साजिश की पोल
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मोहनलाल की मलयालम फिल्म L2: एम्पुरान रिलीज होते ही विवादों में घिर गई, क्योंकि फिल्म में 2002 के गोधरा दंगों का गलत चित्रण किया गया था।

फिल्म पर हिंदुओं को संवेदनहीन और बेरहम दिखाने और गोधरा दंगों के संदर्भ में हिंदू-विरोधी संदेश देने का आरोप लगा है। एक विवादास्पद दृश्य में मुस्लिम परिवार को हिंदू दक्षिणपंथी चरमपंथियों द्वारा मारते दिखाया गया है।

भारी आलोचना के बाद मोहनलाल ने सार्वजनिक रूप से माफी मांगी और फिल्म से आपत्तिजनक हिस्सों को हटाने का वादा किया। उन्होंने कहा कि वह यह सुनिश्चित करना चाहते है कि उनकी फिल्मों से किसी भी विचारधारा के खिलाफ नफरत न फैले।

फिल्म में सुकुमारन ने जायद मसूद नामक किरदार निभाया है, जिसे गोधरा दंगों से जोड़ा गया है। फिल्म में यह भी दर्शाया गया है कि 2002 के दंगों के दौरान गुजरात की तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टी, भाजपा, और नरेंद्र मोदी ने केंद्रीय एजेंसियों का दुरूपयोग किया था।

इसी बीच, 2002 में जॉर्ज जोसेफ नामक एक ईसाई व्यक्ति द्वारा मातृभूमि अखबार में लिखा गया एक पत्र फिर से सामने आया है। इस पत्र में गोधरा दंगों से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदुओं का जिक्र है।

जॉर्ज जोसेफ, जो 12 साल से गोधरा रेलवे स्टेशन के पास व्यवसाय चला रहे थे, 2002 के गोधरा कांड के प्रत्यक्षदर्शी थे। उन्होंने पत्र में घटना के दिन की अपनी आँखों-देखी गवाही दी।

20 अप्रैल, 2002 को लिखे इस पत्र में जॉर्ज ने आरोप लगाया कि गोधरा कांड एक पूर्व नियोजित साजिश थी, जिसका उद्देश्य राजनीतिक माहौल में ताकत दिखाना था।

जॉर्ज ने खुलासा किया कि कांग्रेस के एक पार्षद और उसके गुंडों का स्टेशन के पास हिंसक घटनाओं में हाथ था। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस मुख्य आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचाती रही।

जॉर्ज ने लिखा कि गोधरा एक मुस्लिम बहुल क्षेत्र था, जहाँ सांप्रदायिक तनाव हमेशा बना रहता था। गैर-मुस्लिम डर और तनाव में रहते थे।

जॉर्ज ने दावा किया कि साबरमती एक्सप्रेस पर हमला पूर्व नियोजित था। उन्होंने लिखा कि उस दिन रेलवे स्टेशन के आसपास हजारों लोग बाबरी मस्जिद के पक्ष में नारे लगा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें नियंत्रित नहीं किया।

जॉर्ज ने बताया कि जलती हुई बोगी से कूदने वाले यात्रियों को भीड़ ने पत्थरों से मारा। उन्होंने पूछा कि कांग्रेस पार्टी दोषियों की निंदा क्यों नहीं कर रही है और मीडिया चश्मदीदों से क्यों बच रही है।

जॉर्ज ने स्पष्ट किया कि गोधरा में केवल मुस्लिम ही शांति से रह सकते हैं और वे तब तक वहाँ वापस नहीं जाएंगे जब तक समस्याएँ हल नहीं हो जातीं।

उन्होंने लिखा कि सांप्रदायिक विवादों में पूर्वाग्रह खतरनाक होते हैं और सच्चाई को उजागर करना जरूरी है।

जॉर्ज ने यह पत्र इसलिए लिखा क्योंकि उन्हें कोई भी मीडिया आउटलेट सच्चाई को रिपोर्ट करते हुए नहीं मिला।

गोधरा दंगे देश के सांप्रदायिक इतिहास में सबसे अधिक गलत तरीके से पेश की गई घटनाओं में से एक है। विभिन्न राजनीतिक दलों और मीडिया घरानों ने इसका इस्तेमाल हिंदू विरोधी दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए किया है।

27 फरवरी, 2002 को साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन पर पहुंची, जिसमें 59 कारसेवक सवार थे। मुस्लिम भीड़ ने ट्रेन के कोच को घेरकर आग लगा दी, जिसमें सभी 59 लोग जिंदा जल गए थे।

2011 में ट्रायल कोर्ट ने गोधरा हत्याकांड के लिए 31 मुस्लिमों को दोषी ठहराया। 2017 में गुजरात उच्च न्यायालय ने भी इन दोषियों को दोषी ठहराया।

फरवरी 2003 में एक आरोपित ने स्वीकार किया कि गोधरा कांड एक पूर्व नियोजित हमले का हिस्सा था।

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