म्यांमार भूकंप: नर्सें बनीं देवदूत, जान पर खेलकर बचाई नवजातों की जिंदगी
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म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप ने भारी तबाही मचाई है। भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर एक अस्पताल का वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें नर्सें नवजात शिशुओं को बचाने के लिए अपनी जान पर खेलकर संघर्ष कर रही हैं।

बताया जा रहा है कि जिंगचेंग अस्पताल की ये नर्सें अपनी जान की परवाह किए बिना नवजात शिशुओं को सुरक्षित स्थान पर ले गईं।

भूकंप का केंद्र म्यांमार में था, लेकिन इसका असर चीन और थाईलैंड तक महसूस किया गया।

म्यांमार में शुक्रवार दोपहर आए इस शक्तिशाली भूकंप से भारी तबाही हुई है। एएफपी के अनुसार, अब तक 694 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। पहले म्यांमार के सैन्य शासन ने 144 मौतों की जानकारी दी थी। सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में मांडले और राजधानी नेपीडॉ शामिल हैं, जहां बड़े पैमाने पर क्षति हुई है।

पड़ोसी देश थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में भी भूकंप का प्रभाव महसूस किया गया, जहां एक निर्माणाधीन बहुमंजिला इमारत ढहने से कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई। पूरे क्षेत्र में अब तक 1,600 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं।

भूकंप की तीव्रता 7.7 थी और इसका केंद्र म्यांमार के दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले के पास स्थित था। इसके कुछ समय बाद ही 6.4 तीव्रता का एक और झटका महसूस किया गया।

28 मार्च 2025 को म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत त्वरित मानवीय सहायता भेजने का निर्णय लिया।

भारतीय सेना एक विशेष चिकित्सा कार्य बल तैनात कर रही है, जो तत्काल राहत कार्यों में सहायता करेगा।

लेफ्टिनेंट कर्नल जगनीत गिल के नेतृत्व में शत्रुजीत ब्रिगेड मेडिकल रिस्पॉन्डर्स की 118 सदस्यीय टीम अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरणों और आवश्यक आपूर्ति के साथ जल्द ही म्यांमार के लिए रवाना होगी। एयरबोर्न एंजेल्स टास्क फोर्स को आपदा प्रभावित क्षेत्रों में उन्नत चिकित्सा और शल्य चिकित्सा देखभाल प्रदान करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित किया गया है।

इस अभियान के तहत भारतीय सेना 60 बिस्तरों वाला एक चिकित्सा उपचार केंद्र स्थापित करेगी, जो ट्रॉमा के मामलों, आपातकालीन सर्जरी और अन्य आवश्यक चिकित्सा सेवाओं को संभालने में सक्षम होगा। इससे स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं को राहत मिलेगी, जो भूकंप के कारण बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

भारत की यह मानवीय सहायता उसकी पड़ोसी प्रथम नीति और वसुधैव कुटुंबकम - पूरी दुनिया एक परिवार है - की अवधारणा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। भारतीय सेना संकट के समय मित्र देशों के साथ खड़ी रहती है, जो क्षेत्र में सबसे पहले सहायता पहुंचाने के भारत के संकल्प को दर्शाता है। इस मिशन को विदेश मंत्रालय के समन्वय में म्यांमार प्रशासन के साथ मिलकर क्रियान्वित किया जा रहा है।

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