अंबेडकर जयंती पर अनुमति न मिलने पर आजाद आगबबूला, मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
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नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने अंबेडकर जयंती मनाने की अनुमति न दिए जाने पर नाराजगी जताई है।

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की मांग की है।

आजाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर भी इस मामले को उठाया है।

बहुजन समाज के नेताओं और संगठनों में इस फैसले को लेकर रोष व्याप्त है।

प्रशासन से संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती सम्मानपूर्वक मनाने की अनुमति देने की अपील की गई है।

भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती हर साल पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है।

इस वर्ष भी 14 अप्रैल को विभिन्न स्थानों पर समारोह आयोजित करने की योजना बनाई गई थी।

लेकिन हाल ही में यह खबर आई कि कुछ क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा अंबेडकर जयंती मनाने की अनुमति नहीं दी जा रही है।

इस फैसले को लेकर नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस मामले में दखल देने और तत्काल ठोस कार्रवाई करने की मांग की है।

चंद्रशेखर आजाद ने X पर लिखा: संविधान निर्माता, भारत रत्न, परम पूज्य बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती मनाने की अनुमति न दिए जाने की खबरें बेहद चिंताजनक हैं। इस संबंध में मैंने माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को पत्र लिखा है और अपेक्षा की है कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए तथा तत्काल ठोस कार्रवाई की जाए।

उनकी इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई।

कई बहुजन संगठनों और दलित समाज के नेताओं ने इस फैसले की आलोचना की और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।

चंद्रशेखर आजाद ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में कहा कि अंबेडकर जयंती सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण सामाजिक और ऐतिहासिक अवसर है।

उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती को सम्मानपूर्वक मनाने की अनुमति दी जाए।

यह सुनिश्चित किया जाए कि बहुजन समाज के लोगों को इस अवसर पर किसी प्रकार की असुविधा या प्रतिबंध का सामना न करना पड़े, और सभी आयोजनों में सुरक्षा और शांति व्यवस्था बनी रहे।

इस पूरे मामले पर बहुजन समाज के विभिन्न संगठनों ने नाराजगी जताई है। समाज के नेताओं का कहना है कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर केवल दलित समाज के ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सम्माननीय व्यक्तित्व हैं।

ऐसे में उनकी जयंती मनाने से रोकना लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।

विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कई नेताओं ने इस निर्णय की आलोचना की और इसे संविधान विरोधी बताया।

प्रशासन का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से अनुमति देने पर विचार किया जा रहा है।

हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

योगी सरकार के कुछ अधिकारियों का कहना है कि सभी समुदायों के धार्मिक और सामाजिक आयोजनों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाएगा।

अब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले पर क्या निर्णय लेंगे? क्या चंद्रशेखर आजाद की मांग पर विचार किया जाएगा?

इस मुद्दे को लेकर लगातार चर्चाएं हो रही हैं और बहुजन समाज की निगाहें सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। अगर सरकार ने इस विषय पर जल्द निर्णय नहीं लिया, तो यह मामला और भी गरमा सकता है।

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