नागपुर का स्मृति मंदिर: जहाँ मोदी ने टेका माथा, जानिए इतिहास
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नागपुर में स्मृति मंदिर परिसर का दौरा किया और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक डॉ. हेडगेवार और द्वितीय सरसंघचालक श्री गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार की समाधि को स्मृति मंदिर के रूप में पूजा जाता है। वहीं, डॉक्टर केशव हेडगेवार जिस घर में रहते थे, उसे भी उनके निधन के बाद से नागपुर में आज भी उसी तरह संजोकर रखा गया है, जैसा कि वह 1940 में उनके निधन से पहले हुआ करता था।

सफेद दीवारें, आंगन में तुलसी का पेड़, सागौन की लकड़ी के खंभे, चूने और कच्चे गारे से बनी मजबूत दीवारें। ग्राउंड प्लस एक मंजिला इस मकान में डॉक्टर हेडगेवार की तमाम चीजों को संभाल कर रखा गया है। उनका झूला, उनके बर्तन, उनके कुलदेवता का मंदिर, चूल्हा-चौका, हर चीज। एक तरह से नागपुर में यह आरएसएस के संस्थापक का वह घर है जो अब एक स्मारक के रूप में पूजा जाता है।

हर गुड़ी पड़वा (चैत्र नवरात्रि हिंदू नववर्ष का प्रथम दिन) पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पथसंचालक युवाओं का 100 से भी ज्यादा का समूह आरएसएस के मुख्यालय से लेकर डॉक्टर हेडगेवार के घर शिर्के लेन तक एक रोड मार्च निकालता है, जिसमें बैंड, बांसुरी और ताल लेकर कदमताल करते हुए केशव हेडगेवार के इस दोमंजिला मकान को मान वंदना दी जाती है।

डॉक्टर हेडगेवार के घर के आसपास, जो उनके पड़ोसियों के मकान थे, उसे भी यथावत रखा गया है। बस फर्क ये है कि हेडगेवार के घर में कोई रहता नहीं और पड़ोसियों के घर में लोग रहते हैं। हेडगेवार के घर के बाहर पूरी जानकारी पत्थर पर लिखी गई है। देश-दुनिया से डॉक्टर हेडगेवार की जीवनी जानने और समझने के लिए लोग यहां इस मकान को देखने आते हैं, इसलिए इसकी सुरक्षा के लिए गार्ड और सीसीटीवी भी लगाया गया है।

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार: जीवन और योगदान

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार (1889-1940) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संस्थापक थे। उनका जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर, महाराष्ट्र में हुआ था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा नागपुर में प्राप्त की और बाद में कोलकाता से मेडिकल की पढ़ाई पूरी की। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से प्रेरित होकर उन्होंने 1925 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की। उनका उद्देश्य भारत में हिंदू समाज को संगठित करना और राष्ट्रभक्ति की भावना को बढ़ावा देना था।

हेडगेवार स्मृति मंदिर

हेडगेवार का निधन 21 जून 1940 को हुआ। उनके अंतिम संस्कार के बाद नागपुर के रेशमबाग में उनकी समाधि बनाई गई, जिसे हेडगेवार स्मृति मंदिर कहा जाता है।

समाधि स्थल का निर्माण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय के रूप में किया गया। 9 अप्रैल 1962 (वर्ष प्रतिपदा) को संघ के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर (गुरुजी) ने इस स्मृति स्थल का उद्घाटन किया।

इस स्मृति मंदिर को विशिष्ट भारतीय स्थापत्य कला के अनुसार निर्मित किया गया है। इसमें संगमरमर और अन्य उच्च-गुणवत्ता वाली सामग्री का प्रयोग किया गया है।

गुरु गोलवलकर के निधन के बाद, उनकी समाधि भी यहीं बनाई गई। यह स्थान RSS के स्वयंसेवकों और अनुयायियों के लिए एक प्रेरणा स्थल बन गया है। यहां संघ का प्रमुख प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किया जाता है। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों और स्वयंसेवकों का मार्गदर्शन यहीं होता है।

यह स्मृति स्थल डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति द्वारा संचालित किया जाता है। यहां विभिन्न राष्ट्रीय और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

हेडगेवार स्मृति मंदिर न केवल एक समाधि स्थल है, बल्कि यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारों और दर्शन का केंद्र भी है। यहां संघ के वरिष्ठ नेता, स्वयंसेवक, और अन्य राष्ट्रवादी विचारधारा के लोग नियमित रूप से आते हैं और राष्ट्र-निर्माण के लिए प्रेरणा प्राप्त करते हैं। यह स्थान राष्ट्रीय चेतना और सामाजिक संगठन के लिए एक प्रतीक बन चुका है।

हेडगेवार स्मृति मंदिर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के योगदान को सम्मान देने के लिए बनाया गया एक ऐतिहासिक स्थल है। यह न केवल संघ के कार्यकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है, बल्कि भारतीय संस्कृति, राष्ट्रवाद और संगठन शक्ति के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

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