संविधान ने हमें समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी दी है, लेकिन जब प्रशासनिक अधिकारी ही इस मूल भावना को कुचलने लगें, तो क्या होगा? हाल ही में ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सामने आया, जहां चंद्रशेखर आज़ाद ने प्रशासन की मनुवादी मानसिकता को खुलकर चुनौती दी।
संभल के CEO (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) अनुज चौधरी का सामना जब चंद्रशेखर आज़ाद से हुआ, तो उनका आत्मविश्वास हिलता हुआ दिखा। वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि जब चंद्रशेखर आज़ाद ने सटीक सवाल पूछे, तो अधिकारी असहज हो गए और उनका रौब खत्म हो गया। यह बाबा साहेब के संविधान की ताक़त है!
संविधान की शपथ लेकर भी कुछ अधिकारी अपने भीतर छिपी संकीर्ण मानसिकता को नहीं छोड़ पाते। अनुज चौधरी जैसे अधिकारी प्रशासन में रहकर संविधान की मूल भावना को कमजोर करने का काम करते हैं। वे जनता के सेवक बनने के बजाय सत्ता के अहंकार में चूर रहते हैं। लेकिन जब चंद्रशेखर आज़ाद जैसे क्रांतिकारी नेता सामने आते हैं, तो यह सत्ता का अहंकार टिक नहीं पाता।
चंद्रशेखर आज़ाद भीम आर्मी के संस्थापक और आजाद समाज पार्टी के प्रमुख हैं। वे सामाजिक न्याय, दलित अधिकारों और हाशिए पर खड़े समुदायों की आवाज़ बुलंद करने के लिए जाने जाते हैं। उनका संघर्ष न केवल प्रशासनिक भेदभाव के खिलाफ़ है, बल्कि वे राजनीतिक स्तर पर भी दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लिए लड़ रहे हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत यह है कि वे संविधान की मूल भावना को समझते हैं और उसका पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
भारत का संविधान समानता, स्वतंत्रता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता की बात करता है। लेकिन आज भी कुछ प्रशासनिक अधिकारी ऐसे हैं, जो अपने मन में मनुवादी विचारधारा को ज़िंदा रखते हैं। अनुज चौधरी जैसे अधिकारी इस बात का उदाहरण हैं कि किस तरह कुछ लोग संविधान की शपथ लेकर भी आचरण मनुस्मृति के अनुसार करते हैं। चंद्रशेखर आज़ाद जैसे नेता इसी मानसिकता के खिलाफ़ लड़ रहे हैं।
संभल की इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है। लोग इस पर जमकर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है।
जनता की कुछ प्रतिक्रियाएं: अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे, चंद्रशेखर आज़ाद ने घमंड तोड़ दिया! , संविधान के नाम पर शपथ लेने वाले अफसर अगर मनुवाद को बढ़ावा देंगे, तो चंद्रशेखर आज़ाद जैसे योद्धा उनके सामने खड़े होंगे।
यह घटना सिर्फ एक अधिकारी और चंद्रशेखर आज़ाद के बीच हुई बहस नहीं है। यह भारत में सामाजिक न्याय बनाम मनुवादी मानसिकता की लड़ाई है। जब तक संविधान के रक्षक मौजूद हैं, तब तक नफरत और भेदभाव को खत्म करने की उम्मीद बनी रहेगी। संभल की घटना ने यह दिखा दिया कि सत्ता की हनक संविधान की ताकत के आगे टिक नहीं सकती।
संविधान की ताकत को समझना और उसे बचाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। चंद्रशेखर आज़ाद जैसे नेता यह साबित कर रहे हैं कि लोकतंत्र में सत्ता का घमंड ज्यादा दिन नहीं टिकता। संभल की यह घटना एक उदाहरण है कि जब भी कोई मनुवादी मानसिकता को बढ़ावा देगा, तो संविधान का सच्चा रक्षक उसके सामने खड़ा होगा।
यह बाबा साहेब के संविधान की ताक़त है कि जब सामने चंद्रशेखर आज़ाद खड़े हों, तो न सत्ता की हनक बचती है, न अफसरशाही की अकड़!
— Shiv Prakash Vishwakarma (@ShivPrakash04) March 30, 2025
संभल के CEO अनुज चौधरी का सामना जब चंद्रशेखर आज़ाद जी से हुआ, तो चेहरे की रंगत उड़ गई और घमंड घुटनों पर आ गिरा!
जय भीम।💙🔥 pic.twitter.com/m8IaEwMMcl
IPL 2025: रैना के जाने के बाद CSK का चेज में बुरा हाल, 9 बार टूटा दिल, कई सालों से 180+ का लक्ष्य नहीं हुआ हासिल
चिली के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से पूछा, तिरंगे में चक्र का क्या अर्थ है?
पंजाब: पादरी बजिंदर सिंह को 2018 बलात्कार मामले में आजीवन कारावास
क्या आप बोइंग स्टारलाइनर पर फिर से अंतरिक्ष जाएंगे? सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर का जवाब
बीड मस्जिद विस्फोट: विस्फोटक के साथ गिरफ्तार दो आरोपी, वीडियो वायरल
झंझेरी से IPL तक: डेब्यू में 4 विकेट लेकर छाए अश्वनी कुमार, बताया संघर्ष का सच
झारखंड: साहिबगंज में दो मालगाड़ियों की टक्कर, आग लगने से 2 की मौत, 4 घायल
ऑपरेशन ब्रह्मा: म्यांमार में राहत सामग्री लेकर पहुंचे नौसेना के पोत, मृतकों की संख्या 2000 पार
IPL 2025: सहवाग के RCB पर तंज से फैंस नाराज, कहा - गरीबों को भी ऊपर रहने दो!
IFS निधि तिवारी का अमित शाह के PS से अनोखा संयोग!