बांग्लादेश अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने चीन की चार दिवसीय यात्रा के दौरान तीस्ता प्रोजेक्ट में चीनी कंपनियों को शामिल होने का न्योता दिया है.
प्रोफ़ेसर मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच हुए कई समझौतों में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड परियोजना को आगे बढ़ाने पर भी सहमति बनी.
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बताया कि प्रोफ़ेसर यूनुस और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कई मुद्दों पर सहमति बनी है. चीन बांग्लादेश के साथ अच्छा पड़ोसी, अच्छा दोस्त और आपसी भरोसे के साथ अच्छा पार्टनर बने रहने के लिए प्रतिबद्ध है.
यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी ने यूनुस और शी जिनपिंग के बीच मुलाक़ात को बहुत अहम और सफल बताया है.
मोहम्मद यूनुस और शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता में कई मुद्दों पर सहमति बनी. दोनों देशों की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों देशों ने शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के पांच उसूलों पर अडिग रहने पर सहमति जताई.
बयान के अनुसार, बांग्लादेश ने तीस्ता रिवर कॉम्प्रीहेंसिव मैनेजमेंट एंड रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट (टीआरसीएमआरपी) में चीनी कंपनियों को आमंत्रित किया. साथ ही यारलुंग ज़ांगबो-जमुना (ब्रह्मपुत्र) से जुड़े जल संसाधन की सूचनाओं के आदान प्रदान पर भी सहमति बनी.
बांग्लादेश ने चटगांव में चाइनीज़ इकोनॉमिक एंड इंडस्ट्रियल ज़ोन (सीईआईज़ेड) को और विकसित करने के लिए चीन के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताई.
इसके अलावा बांग्लादेश ने मोंगला पोर्ट फ़ेसिलिटीज़ मॉडर्नाइजेशन एंड एक्सपैशन प्रोजेक्ट में भागीदारी के लिए चीनी कंपनियों को आमंत्रित किया है.
दोनों देशों के बीच फ़्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफ़टीए) और बांग्लादेश इनवेस्टमेंट पर जल्द ही वार्ता शुरू करने पर सहमति बनी. बांग्लादेश ने वन चाइना पॉलिसी के प्रति अपने समर्थन को दोहराया.
बांग्लादेश चीन की स्वतंत्रता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है और चीन, अपनी राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकूल बांग्लादेश को अपना रास्ता चुनने का समर्थन करता है.
दोनों देशों ने संस्कृति, टूरिज़्म, मीडिया, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के क्षेत्र में आदान प्रदान को और बढ़ाने पर सहमति जताई.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के समय से ही तीस्ता नदी परियोजना भारत और बांग्लादेश के बीच काफ़ी समय से एक प्रमुख मुद्दा रहा है.
कुछ विश्लेषक ताज़ा घटनाक्रम को भारत के लिए झटके के रूप में देख रहे हैं. वैश्विक नीति पर काम करने वाले एक अमेरिकी थिंकटैंक में राष्ट्रीय सुरक्षा एवं हिंद-प्रशांत क्षेत्र के मामलों के जानकार ने कहा, सॉरी इंडिया. यूनुस का बीजिंग दौरा काफ़ी बढ़िया जा रहा है.
एक अरब डॉलर की तीस्ता नदी विकास परियोजना से भारत की सुरक्षा चिंताएं जुड़ी हुई हैं और यह परियोजना चीन के पास जाती है तो ये भारत के लिए बड़े झटके की तरह होगा.
414 किलोमीटर लंबी तीस्ता नदी भारत से बहती हुई बांग्लादेश में जाती है. बांग्लादेश में इस नदी पर एक बैराज स्थापित करने और कटाव को रोकने का एक मास्टर प्लान बनाया गया.
साल 2011 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के ढाका दौरे के दौरान ही तीस्ता समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना था. लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विरोध के कारण वह अधर में लटक गया.
मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी का दावा है कि द्विपक्षीय दौरे के लिए पहले भारत से संपर्क किया गया था, लेकिन नई दिल्ली से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला. इस मामले पर भारत की ओर से अभी कोई बयान नहीं आया है.
President Xi Jinping met with Chief Advisor Muhammad Yunus of the interim government of Bangladesh @ChiefAdviserGoB.
— Mao Ning 毛宁 (@SpoxCHN_MaoNing) March 28, 2025
China’s policy of good neighborliness and friendship towards Bangladesh remains highly stable and consistent, and China is committed to being good neighbors, good… pic.twitter.com/JKcPKUQthR
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