शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि क्या है और भारत ने इसे क्यों ठुकराया?
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भारत किसी की धर्मशाला नहीं है, यह स्पष्ट संदेश गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में दिया है। उन्होंने शरणार्थियों पर संयुक्त राष्ट्र संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। इस संधि को 1951 का शरणार्थी कन्वेंशन भी कहा जाता है। यह संयुक्त राष्ट्र का एक बहुपक्षीय समझौता है जो शरणार्थी की परिभाषा, उनके अधिकार और हस्ताक्षर करने वाले देशों की जिम्मेदारियों को तय करता है।

इस संधि का मुख्य उद्देश्य शरणार्थियों को सुरक्षा प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना है कि वे शिक्षा, रोजगार और आवास जैसे अपने अधिकारों का लाभ उठा सकें। संधि में शरणार्थी को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है जो अपने देश से भाग गया है क्योंकि उसे अपने जीवन, स्वतंत्रता या सुरक्षा के लिए खतरा महसूस होता है। यह खतरा जाति, धर्म, राष्ट्रीयता, या राजनीतिक विचारों के कारण उत्पीड़न से बचने के मकसद से भी हो सकता है।

1967 का प्रोटोकॉल इस संधि को विस्तारित करता है और इसे सभी देशों के शरणार्थियों पर लागू करता है। हालांकि, भारत इन दोनों का पक्षकार नहीं है।

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत को इस संधि पर हस्ताक्षर करने की जरूरत नहीं है क्योंकि भारत का प्रवासियों के प्रति 5000 वर्षों का एक बेदाग रिकॉर्ड रहा है। उन्होंने कहा कि भारत एक भू-सांस्कृतिक देश है, भू-राजनीतिक देश नहीं। पारसी, यहूदी जैसे लोग भारत में शरण लेने आये और भारत ने हमेशा उनका स्वागत किया है।

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की प्रवासन नीति कठोरता और करुणा का मिश्रण है। भारत में व्यापार, शिक्षा और शोध के लिए आने वालों का स्वागत किया जाएगा, लेकिन गलत इरादे से अशांति फैलाने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा।

शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के माध्यम से छह पड़ोसी देशों के प्रताड़ित लोगों को शरण दी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि घुसपैठ करने वालों को रोका जाएगा और नागरिकता केवल उन्हीं को मिलेगी जिन्होंने पड़ोसी देशों में विभाजन की विभीषिका झेली है और अत्याचारों का सामना किया है।

उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार पर घुसपैठियों के प्रति दया दिखाने का आरोप लगाया और कहा कि इसी वजह से बांग्लादेश से सटी सीमा पर 450 किलोमीटर में बाड़ नहीं लग पाई है। उन्होंने दावा किया कि पकड़े गए कई बांग्लादेशी घुसपैठियों के पास 24 परगना जिले का आधार कार्ड है।

शाह ने जोर देकर कहा कि भारत कानूनी रूप से देश को समृद्ध करने के लिए आने वालों का स्वागत करता है, लेकिन उन लोगों को रोका जाएगा जिनके उद्देश्य ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस विधेयक से भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का सपना पूरा होने वाला है।

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