वक्फ बिल पर तमिलनाडु विधानसभा में हंगामा, स्टालिन ने बताया मुसलमानों की भावनाओं पर चोट
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तमिलनाडु विधानसभा ने गुरुवार को केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस प्रस्ताव को पेश करते हुए केंद्र सरकार पर मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया है।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने कहा कि केंद्र सरकार वक्फ विधेयक में संशोधन करके वक्फ बोर्ड की शक्तियों को कम करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हो रही हैं और केंद्र सरकार को इसकी परवाह नहीं है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि भारत में लोग धार्मिक सद्भाव के साथ रह रहे हैं। संविधान ने सभी लोगों को अपने धर्म का पालन करने का अधिकार दिया है और चुनी हुई सरकारों को इसकी रक्षा करने का अधिकार है। विधानसभा ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से वक्फ अधिनियम 1995 के लिए वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को वापस लेने का आग्रह किया है, क्योंकि यह अल्पसंख्यक मुसलमानों को बुरी तरह प्रभावित करेगा।

वहीं, भाजपा विधायक वनथी श्रीनिवासन ने विधानसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव का विरोध किया।

तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी AIADMK ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर वोट बैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है। AIADMK के राष्ट्रीय प्रवक्ता कोवई सत्यन ने कहा कि DMK धर्म और भाषा के आधार पर एक नैरेटिव स्थापित करने की जल्दी में है। उन्होंने सवाल उठाया कि इस मामले में JPC का निष्कर्ष क्या रहा और JPC में शामिल पार्टियां न्यायपालिका में वक्फ को चुनौती क्यों नहीं दे रही हैं। उन्होंने विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह वोट बैंक की राजनीति के लिए लोगों को भड़काने का प्रयास है।

सरकार के अनुसार, वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024, वक्फ अधिनियम 1995 में सुधार करने के उद्देश्य से पेश किया गया है। सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन कर केंद्रीय पोर्टल और डेटाबेस के माध्यम से वक्फ के पंजीकरण के तरीके को सुव्यवस्थित करना है। सरकार ने कहा है कि किसी भी संपत्ति को वक्फ संपत्ति के रूप में दर्ज करने से पहले सभी संबंधितों को उचित नोटिस के साथ राजस्व कानूनों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। सरकार का दावा है कि संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ बोर्डों के कामकाज में जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाना है, साथ ही महिलाओं की अनिवार्य भागीदारी सुनिश्चित करना है।

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