हवा में पानी छोड़ते हुए दौड़ेगी भारत की सबसे लंबी और ताकतवर हाइड्रोजन ट्रेन, जानिए कब होगी लॉन्च?
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भारत अपनी पहली और सबसे शक्तिशाली हाइड्रोजन ट्रेन को लॉन्च करने के लिए तैयार है, जिसके जून 2025 के बाद पटरियों पर दौड़ने की संभावना है। रेलवे मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा करने में जुटा हुआ है।

पहले इस ट्रेन को जून 2024 से पहले लॉन्च करने की योजना थी, लेकिन परीक्षण के दौरान तकनीकी समस्याओं के कारण इसकी तारीख आगे बढ़ा दी गई। 2023-24 के बजट में इस ट्रेन को दिसंबर 2024 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया था। हाइड्रोजन ईंधन पर चलने वाली यह ट्रेन पर्यावरण को बिना किसी नुकसान के ग्रीन एनर्जी के नए युग की शुरुआत करेगी।

चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) भारत की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन बना रही है। यह ट्रेन पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन और तैयार की जा रही है।

हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाली ट्रेनों का सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे बिलकुल भी प्रदूषण नहीं करतीं। इस ट्रेन में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मिलाकर एक खास टेक्नोलॉजी से बिजली बनाई जाएगी जिससे ट्रेन चलेगी। इस ट्रेन से सिर्फ पानी की भाप निकलेगी यानी यह बिल्कुल प्रदूषण नहीं करेगी और पर्यावरण के लिए सुरक्षित होगी। इस नई टेक्नोलॉजी से हवा साफ रहेगी और डीजल-पेट्रोल जैसे ईंधन पर निर्भरता भी कम होगी।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, भारत की यह हाइड्रोजन ट्रेन न केवल देश के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए ऐतिहासिक होगी। यह ट्रेन दुनिया की सबसे लंबी (10 कोच) और सबसे शक्तिशाली (2400 किलोवाट) हाइड्रोजन ट्रेन होगी।

इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व भारतीय रेलवे कर रहा है और इस ट्रेन की तकनीक और डिजाइन रिसर्च, डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने तैयार किए हैं। भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन को उत्तर रेलवे का दिल्ली डिवीजन बना रहा है और इसे हरियाणा में 89 किलोमीटर लंबे जींद-सोनीपत रूट पर चलाया जाएगा। इसके साथ-साथ हाइड्रोजन ईंधन को सुरक्षित तरीके से स्टोर और भरने के लिए एक नया रिफ्यूलिंग सिस्टम भी तैयार किया जा रहा है।

इस परियोजना को सफल बनाने के लिए रेलवे मंत्रालय ने 2023-24 में 2,800 करोड़ रुपये दिए थे। इस पैसे से 35 हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनें बनाई जाएंगी, इससे भारत में साफ और पर्यावरण के अनुकूल ट्रेनें बढ़ेंगी। इससे रेलवे का प्रदूषण कम होगा और भारत अपनी खुद की एनर्जी पर ज्यादा निर्भर हो सकेगा। यह नई टेक्नोलॉजी भारत की पहचान को और बढ़ाएगी और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखेगी।

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