खुशखबरी! हिमाचल में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना पर बड़ा अपडेट, सबको मिलेगा लाभ
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हिमाचल प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर है। राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) को लेकर एक नया अपडेट जारी किया है, जिससे सभी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।

सुखविंदर सिंह सुख्खू सरकार ने पहले ही राज्य कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने की घोषणा कर दी है। सरकार का कहना है कि जो कर्मचारी अभी तक इस योजना में शामिल नहीं हैं, उन्हें भी जल्द ही इसका लाभ दिया जाएगा।

बिजली बोर्ड के कर्मचारियों को भी सरकार अपने वादे के मुताबिक ओपीएस का लाभ देगी। इस पर विभिन्न स्तरों पर बातचीत चल रही है। एचआरटीसी के कर्मचारियों को भी सरकार ने पहले ही ओपीएस का लाभ दे दिया है।

विधानसभा के बजट सत्र में विधायक सतपाल सिंह सत्ती के ओपीएस से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस ने ओपीएस की पहली गारंटी दी थी और कर्मचारियों को इसका लाभ भी दिया है।

उन्होंने बताया कि 1 लाख 17 हजार 521 कर्मचारियों ने ओपीएस का विकल्प चुना है, जबकि सिर्फ 1356 कर्मचारी ऐसे हैं जिन्होंने एनपीएस को चुना है।

उपमुख्यमंत्री अग्निहोत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार के पास 9242 करोड़ रुपए लंबित हैं। इसमें से लगभग 50 फीसदी, यानी 5 हजार करोड़ रुपए, हिमाचल सरकार के हैं, जिसे राज्य सरकार वापस मांग रही है। उन्होंने कहा कि एनपीएस में सरकार और कर्मचारी दोनों का आधा-आधा हिस्सा जमा होता था। उन्होंने विपक्ष के नेता से आग्रह किया कि वे अपना स्टैंड बदलें और हिमाचल का पैसा वापस दिलाने के लिए पैरवी करें। राज्य कोष में राज्य के हिस्से की राशि जमा होने पर ही कर्मचारियों को पेंशन में उसका लाभ मिल सकेगा। एनपीएस में गए कर्मचारी जैसे ही राज्य कोष में पैसा जमा करेंगे, उनकी पेंशन जारी कर दी जाएगी।

ओपीएस और एनपीएस में मुख्य अंतर यह है कि ओपीएस में सरकारी कर्मचारी के रिटायर होने के बाद, उसे आखिरी मूल वेतन और महंगाई भत्ते की आधी रकम पेंशन के तौर पर ताउम्र सरकार के राजकोष से दी जाती है। वहीं, एनपीएस के तहत सरकारी कर्मचारी को अपनी पेंशन में मूल वेतन का 10 फीसदी देना होता है, और इसमें राज्य सरकार केवल 14% का योगदान देती है।

ओपीएस में हर साल दो बार महंगाई भत्ता भी बढ़कर मिलता है, और पेंशन पाने वाले सरकारी कर्मचारी की मौत होने पर उसके परिवार को पेंशन दिए जाने का भी प्रावधान है। ओपीएस में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद 20 लाख रुपए तक की ग्रेच्युटी मिलती है, जबकि एनपीएस में रिटायरमेंट के समय ग्रेच्युटी का कोई स्थायी प्रावधान नहीं है। न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) में 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (डीए) लागू नहीं होता है, जबकि ओपीएस में कर्मचारियों के लिए 6 महीने के बाद मिलने वाला महंगाई भत्ता (डीए) लागू किया जाता है। पेंशन कमीशन के लागू होने पर पेंशन रिवाइज्ड होने का फायदा भी रिटायर कर्मचारी को मिलता है।

एनपीएस शेयर बाजार पर आधारित है और इसमें सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती। इसमें महंगाई भत्ते का प्रावधान भी शामिल नहीं है। एनपीएस में सेवा के दौरान कर्मचारी की मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कुल वेतन का 50 फीसदी पेंशन के तौर पर देने का प्रावधान है। ओपीएस के विपरीत, नई पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट पर शेयर बाजार के अनुसार जो भी पैसा मिलता है, उस पर टैक्स देना होता है, जबकि ओपीएस में कर्मचारी के रिटायरमेंट पर जीपीएफ के ब्याज पर किसी प्रकार का इनकम टैक्स नहीं देना पड़ता।

उपमुख्यमंत्री अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार गर्व से कह सकती है कि उन्होंने प्रदेश के कर्मचारियों को ओपीएस दी है।

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