जज के घर जली मिली नोटों की बोरियां: SC रिपोर्ट में खुला चौंकाने वाला सच!
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दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर लगी आग के बाद सुप्रीम कोर्ट में पेश रिपोर्ट ने सनसनी मचा दी है. कमरे में चारों तरफ पांच-पांच सौ रुपये के अधजले नोट बिखरे मिले. कुछ गड्डियों से अब भी धुंआ उठ रहा था.

दिल्ली पुलिस द्वारा सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई जांच रिपोर्ट के साथ एक वीडियो भी है, जिसमें आग लगने के बाद जज के घर के कमरे की स्थिति दिखाई गई है. सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट और जज यशवंत वर्मा के बचाव में दिए गए तर्क को सार्वजनिक कर दिया है.

मामले की गंभीरता को देखते हुए चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय को शुरुआती जांच का आदेश दिया था. जस्टिस उपाध्याय ने सीजेआई खन्ना को लिखे पत्र में गहरी जांच की आवश्यकता बताई है. वहीं, जज यशवंत वर्मा का दावा है कि नोटों की गड्डियां उनकी नहीं हैं, और उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है.

दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय की जांच रिपोर्ट में भारतीय मुद्रा की चार से पांच अधजली गड्डियां पाई गईं. 25 पन्नों की रिपोर्ट में होली की रात न्यायमूर्ति वर्मा के आवास पर लगी आग के वीडियो और तस्वीरें भी शामिल हैं.

जस्टिस उपाध्याय ने बताया कि जांच में पता चला कि कमरे में रहने वालों, घरेलू सहायकों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के प्रवेश की संभावना नहीं है. उन्होंने शुरुआती जांच के बाद पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता बताई.

रिपोर्ट के अनुसार, 15 मार्च को जस्टिस डीके उपाध्याय को दिल्ली पुलिस कमिश्नर का फोन आया, जिसमें उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में लगी आग के बारे में बताया. जस्टिस उपाध्याय ने बताया कि जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से कुछ जली हुई चीजों को स्टोर रूम से हटाया गया. पुलिस कमिश्नर ने जस्टिस उपाध्याय के साथ कुछ फोटो और एक वीडियो भी शेयर किए हैं, जिनमें कमरे में नोट जलते दिख रहे हैं.

जज यशवंत वर्मा ने अपने बचाव में कहा है कि जिस कमरे में नोटों की गड्डियां मिलीं, वह उनके मुख्य आवास से अलग है और कई लोग इसका इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि 14 मार्च की देर रात होली के दिन उनके आवास के स्टाफ क्वार्टर के पास स्थित स्टोर रूम में आग लग गई थी. इस कमरे का इस्तेमाल पुराने फर्नीचर, बोतलें, क्रॉकरी, गद्दे, इस्तेमाल किए गए कालीन और बागवानी उपकरण रखने के लिए होता है.

न्यायाधीश ने कहा कि वे और उनकी पत्नी उस दिन मध्य प्रदेश में थे और घर पर केवल उनकी बेटी और वृद्ध मां ही थीं. उन्होंने यह भी कहा कि आग बुझाने के दौरान किसी ने भी मौके पर कोई नकदी नहीं देखी. उन्होंने इस बात का खंडन किया कि स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य द्वारा कोई नकदी रखी गई थी.

जज यशवंत वर्मा का मामला सीजेआई संजीव खन्ना द्वारा गठित कमिटी को सौंपा गया है. पुलिस से जस्टिस यशवंत वर्मा के पिछले 6 महीने के कॉल रिकॉर्ड भी मांगे गए हैं. फिलहाल के लिए जस्टिस यशवंत वर्मा को कोई न्यायिक ज़िम्मेदारी नहीं सौंपी जाएगी.

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