पंजाब में प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने में मान सरकार को इतना समय क्यों लगा?
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पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने आखिरकार प्रदर्शनकारी किसानों को बॉर्डर से हटा दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार ने खरौनी और शंभू बॉर्डर पर बैठे किसानों को हटाकर प्रदर्शन स्थल को खाली करा दिया है। इस दौरान कई किसानों को हिरासत में भी लिया गया है।

एक साल से ज्यादा समय से चल रहे धरने को मान सरकार ने अब हटाया है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि इतना समय क्यों लगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कदम अरविंद केजरीवाल के पंजाब दौरे, लुधियाना के उद्योगपतियों से आम आदमी पार्टी (आप) के शीर्ष नेतृत्व को मिली प्रतिक्रिया और आगामी लुधियाना उपचुनाव को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

केजरीवाल इस सप्ताह पंजाब दौरे पर थे और दो दिन पहले लुधियाना में थे। सूत्रों का कहना है कि लुधियाना के उद्योगपतियों ने आप के शीर्ष नेतृत्व से कहा कि शंभू और खनौरी सीमाओं पर किसानों का विरोध जारी रहने से उन्हें लुधियाना उपचुनाव में वोट नहीं मिलेंगे क्योंकि इससे व्यवसायों को भारी नुकसान हो रहा है।

पंजाब की दो सीमाओं पर पिछले एक साल से अधिक समय से धरना प्रदर्शन चल रहा है, जिससे व्यापार और ट्रकों की आवाजाही प्रभावित हो रही है।

पंजाब सरकार ने यह कार्रवाई सुनियोजित तरीके से की। दो दिन पहले ही दोनों सीमाओं पर पानी की बौछारें और पुलिस बल तैनात कर दिया गया था। हालांकि, सरकार किसान नेताओं सरवन सिंह पंढेर और जगजीत सिंह दल्लेवाल को प्रदर्शन स्थल से हटाने से बच रही थी, क्योंकि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती थी।

सरकार को मौका तब मिला जब दोनों किसान नेता अपनी मांगों को लेकर तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ बैठक में शामिल होने चंडीगढ़ गए। बैठक बेनतीजा रही। पंजाब पुलिस ने किसान नेताओं का पीछा किया और शंभू पहुंचने से पहले ही हिरासत में ले लिया।

इसके बाद, पंजाब पुलिस ने शंभू और खनौरी सीमाओं पर दबिश दी और अन्य किसानों को हिरासत में ले लिया। प्रदर्शन स्थलों पर बने अस्थायी ढांचे भी जेसीबी मशीनों से हटा दिए गए। देर रात तक दोनों विरोध स्थलों पर से नाकेबंदी हटा ली गई।

कांग्रेस और भाजपा ने भगवंत मान सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों को धोखा दिया है। हालांकि, आप सरकार लुधियाना उपचुनाव जीतने के लिए उत्सुक दिख रही है और पंजाब में उद्योग को हो रहे नुकसान का हवाला दे रही है।

पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि किसान पंजाब के बजाय दिल्ली में जाकर घेराव कर सकते हैं, क्योंकि उनकी शिकायतें मुख्य रूप से केंद्र सरकार से हैं।

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