सुनीता विलियम्स और उनके साथी अंतरिक्ष यात्री बुच विल्मोर नौ महीने से अधिक समय बाद धरती पर सुरक्षित लौट आए हैं. उनका यह अभियान, जो मूल रूप से आठ दिनों का था, तकनीकी दिक्कतों के कारण लंबा खिंच गया.
सुनीता विलियम्स की यह वापसी न केवल नासा और अमेरिका के लिए गौरव का क्षण है, बल्कि भारत के लिए भी विशेष महत्व रखती है, क्योंकि उनकी जड़ेँ भारत से जुड़ी हैं. उनकी सुरक्षित वापसी के लिए भारत में लगातार प्रार्थनाएं और पूजा-पाठ हो रहे थे, खास तौर पर उनके पैतृक गांव गुजरात के मेहसाणा में.
विलियम्स और विल्मोर ने पिछले वर्ष 5 जून को बोइंग स्टारलाइनर से उड़ान भरी थी. उन्होंने स्पेसएक्स के ड्रैगन अंतरिक्ष यान से वापसी की. अंतरिक्ष कैप्सूल ने फ्लोरिडा के तट के पास समुद्र में पैराशूट की मदद से लैंडिंग की. ड्रैगन कैप्सूल के अलग होने से लेकर समुद्र में उतरने तक लगभग 17 घंटे लगे. नासा की टीम ने कैप्सूल का दरवाजा खोला और सुनीता विलियम्स ने हाथ हिलाकर सबका अभिवादन किया.
विलियम्स और विल्मोर को केवल 8 दिनों के मिशन पर भेजा गया था, लेकिन तकनीकी समस्याओं के कारण उन्हें अंतरिक्ष में ही रहना पड़ा. नासा ने उन्हें वापस लाने के लिए कई प्रयास किए, और आखिरकार क्रू-9 मिशन के जरिए सफलता मिली. इस मिशन के तहत निक हेग और अलेक्सांद्र गोरबुनोव ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में उन्हें लेने गए.
चारों अंतरिक्ष यात्री मंगलवार (18 मार्च) को अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से रवाना हुए थे. पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने पर स्पेसक्राफ्ट का तापमान 1650 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो गया था, जिसके कारण लगभग 7 मिनट के लिए कम्युनिकेशन ब्लैकआउट रहा. हेग और गोरबुनोव ने लगभग 13-फुट-चौड़े स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान में परिक्रमा की, जो पृथ्वी से लगभग 250 मील ऊपर था.
कैप्सूल ने भारतीय समयानुसार 19 मार्च को रात 2:41 बजे डीऑर्बिट बर्न शुरू किया, जिससे स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर सका. सुबह 3:27 बजे फ्लोरिडा के तट पर पानी में लैंडिंग हुई.
पृथ्वी पर लौटने के बाद, अंतरिक्ष यात्रियों को एक सावधानीपूर्वक नियोजित रिकवरी प्रक्रिया से गुजरना होगा. स्पलैशडाउन के बाद, विलियम्स और विल्मोर को कैप्सूल से बाहर निकाला गया और तत्काल मेडिकल टेस्ट के लिए स्ट्रेचर पर रखा गया. यह एक नियमित प्रक्रिया है, जो माइक्रोग्रैविटी के लंबे समय तक संपर्क के प्रभावों को कम करने के लिए की जाती है. आरंभिक जांच के बाद, उन्हें ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर ले जाया गया, जहां उन्हें और मेडिकल जांचों से गुजरना होगा.
विलियम्स और विल्मोर मिशन के बाद की डीब्रीफिंग में भी हिस्सा लेंगे, जहां वे आईएसएस पर अपने लंबे समय के अनुभव, आई चुनौतियों और बोइंग स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देंगे.
सुनीता विलियम्स की सफल वापसी ने अंतरिक्ष मिशन में नई चुनौतियों और संभावनाओं को उजागर किया है. यह न केवल उनके लिए, बल्कि पूरी वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है, जो अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के अनुभव को दर्शाती है. इस मिशन से प्राप्त डेटा भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा.
यह वापसी भारतीय वैज्ञानिकों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी. भारत अपने गगनयान मिशन को लेकर उत्साहित है, और इस मिशन से मिली सीखें भारतीय वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण होंगी.
अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. विशेषज्ञ बताते हैं कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. इस मिशन से हासिल मेडिकल रिपोर्ट्स और डेटा भविष्य के मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे.
अंतरिक्ष उद्योग में निजी निवेश की बढ़ती भूमिका भी इस मिशन से उजागर हुई है. विशेषज्ञों का मानना है कि स्पेसएक्स जैसी एजेंसियों का अंतरिक्ष में होना जरूरी है.
सुनीता विलियम्स के इस मिशन से हासिल अनुभव और डेटा भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे, खासकर भारत के गगनयान मिशन के लिए.
Splashdown confirmed! #Crew9 is now back on Earth in their @SpaceX Dragon spacecraft. pic.twitter.com/G5tVyqFbAu
— NASA (@NASA) March 18, 2025
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