वाजपेयी सरकार: 13 महीने, 5 कारण - क्यों गिरी 1998 में अटल जी की सरकार?
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19 मार्च 1998 को अटल बिहारी वाजपेयी ने दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, जो भारतीय राजनीति के इतिहास में एक अहम दिन था। भाजपा ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के सहयोग से सरकार बनाई, लेकिन यह गठबंधन नाजुक था और बहुमत के लिए छोटे दलों पर निर्भर था।

वाजपेयी सरकार ने देश की आर्थिक और सुरक्षा नीतियों को मजबूत करने पर ध्यान दिया। मई 1998 में पोखरण-2 परमाणु परीक्षण किया गया, जिसने भारत को एक मजबूत परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया, हालांकि अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ा।

अप्रैल 1999 में अन्नाद्रमुक (AIADMK) पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार बहुमत से चूक गई और मात्र 13 महीने में गिर गई। अक्टूबर 1999 में फिर से चुनाव हुए, जिनमें भाजपा के नेतृत्व में NDA को स्पष्ट बहुमत मिला और अटल बिहारी वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने।

वाजपेयी की सरकार 17 अप्रैल 1999 को लोकसभा में सिर्फ 1 वोट से विश्वास मत हार गई थी। इसके पीछे कई कारण थे, जिनमें सबसे प्रमुख थे:

सरकार गिरने के बाद राष्ट्रपति केआर नारायणन ने अन्य दलों को सरकार बनाने का मौका दिया, लेकिन जब कोई नया गठबंधन नहीं बन पाया तो लोकसभा भंग कर दी गई और 1999 में दोबारा आम चुनाव हुए। इस चुनाव में वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए (NDA) को पूर्ण बहुमत मिला और वे फिर से प्रधानमंत्री बने।

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