ऐसी दुकानें जहां नहीं होता कोई दुकानदार, खुद सामान लेकर चुकाते हैं कीमत, कहां?
News Image

हर दुकान, चाहे छोटी हो या बड़ी, में आपको सामान खरीदने पर कीमत चुकाने के लिए कोई न कोई जरूर मिलेगा। लेकिन क्या आपने कभी ऐसी दुकान के बारे में सुना है जो ग्राहकों और भगवान के भरोसे चलती हो?

आज हम आपको दो ऐसी दुकानों के बारे में बताने वाले हैं जहां न तो कोई दुकानदार बैठता है और न ही कोई कैशियर। तो फिर दुकान कैसे चलती है? क्या यहां कोई लूट-पाट होती है?

चिंता न करें, इन दुकानों में न तो कोई लूट होती है और न ही कोई ग्राहक बेईमानी करता है।

बिना दुकानदारों वाली दो दुकानें

पहली दुकान मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित लड्डू गोपाल की दुकान है। दूसरी दुकान पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के श्रीरामपुर शहर में एक चाय की दुकान है।

सबसे खास बात यह है कि इन दुकानों में न तो ग्राहकों की कमी होती है और न ही कोई ग्राहक खरीदी हुई चीजों को लेकर बेईमानी करता है।

जबलपुर का लड्डू गोपाल की दुकान

जबलपुर के नेपियर टाउन में रहने वाले विजय पांडे लड्डू बनाने का काम करते हैं। उनकी दुकान के अधिकांश लड्डू मंदिरों में भगवान को भोग चढ़ाने के लिए जाते हैं।

एक घटना के बाद विजय पांडे ने अपनी दुकान को लड्डू गोपाल के भरोसे छोड़ने का फैसला लिया। उनकी दुकान में लड्डू के हर पैकेट पर कीमत लिखी होती है। ग्राहक मिठाई का पैकेट उठाते हैं और पास में रखे बक्से में उसकी कीमत रख देते हैं। एक और बक्से में खुदरा रुपये भी रखे होते हैं, जहां से वे वापस लौटने वाले रुपये भी ले सकते हैं।

क्यों लड्डू गोपाल के भरोसे छोड़ी दुकान?

विजय पांडे लड्डू गोपाल के बड़े भक्त हैं। पहले वह घर से ही दुकान चलाते थे। एक दिन एक व्यक्ति उनके पास आया और उसने संकोच के साथ कहा कि वह लड्डू खरीदना चाहता है लेकिन उसके पास पैसे नहीं हैं। विजय पांडे ने उसे लड्डू दे दिए और सोचा कि अगर इस दुकान में लड्डू गोपाल बैठे होते, तो उस व्यक्ति को इतना संकोच नहीं होता। तभी उन्होंने श्री लड्डू गोपाल दुकान खोलने का फैसला लिया।

इस दुकान में कई बार ऐसा भी होता है कि लोग मिठाई का डिब्बा लेकर जाते हैं और बाद में आकर उसकी कीमत चुका देते हैं। विजय पांडे को भरोसा है कि कोई लड्डू गोपाल के साथ धोखा नहीं करेगा।

बिना दुकानदार चाय की दुकान

अब बात करते हैं एक ऐसी चाय की दुकान की जो ग्राहकों के भरोसे चलती है। यह दुकान पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में श्रीरामपुर शहर में है।

इस दुकान में ज्यादातर बुजुर्ग ग्राहक आते हैं। यहां चाय बनाने से लेकर मिट्टी के कुल्हड़ में डालने तक का काम ग्राहक खुद करते हैं। चाय की कीमत वसूलने के लिए भी कोई दुकानदार नहीं होता। ग्राहक चाय की कीमत दुकान में एक तरफ रखे बक्से में रखकर चले जाते हैं।

पिछले 100 सालों से चल रही है दुकान

बताया जाता है कि श्रीरामपुर की यह चाय की दुकान पिछले करीब 100 सालों से चल रही है। दुकान के मालिक बदलते रहते हैं। वर्तमान मालिक ने बताया कि वह सुबह के समय में दुकान खोल देते हैं और वापस चले जाते हैं। आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि कोई यहां से बिना चाय पीए गया हो या बिना कीमत चुकाए ही चाय पीकर चला गया हो।

आज के समय में जहां लोगों की आंखों का काजल भी पल भर में गायब हो जाए, वहां ये दोनों दुकानें भरोसे की मिसाल कायम कर रही हैं। अगर आपका भरोसे पर से भरोसा उठ रहा हो, तो एक बार इस कहानी को दोबारा पढ़ लें। यकीन मानिए, दुनिया में भरोसा और विश्वास पर आपको फिर से विश्वास होने लगेगा।

*

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

IPL 2025: लखनऊ सुपर जायंट्स की बढ़ी चिंता, क्या ऋषभ पंत उठाएंगे फायदा?

Story 1

रोहित शर्मा का गुस्सा फूटा, बेटी की तस्वीरें खींच रहे पैपराजी को लगाई फटकार!

Story 1

नागपुर हिंसा: मुसलमानों पर आगजनी की तैयारी का आरोप, चुनिंदा हिंदुओं के घर और गाड़ियाँ जलाईं!

Story 1

मार्केट में आया ऐसा गेंदबाज, एक्शन देख भूल जाएंगे बुमराह-मलिंगा!

Story 1

न्यूजीलैंड ने पाकिस्तान को 5 विकेट से हराया, सीरीज में 2-0 की बढ़त!

Story 1

नागपुर हिंसा: संजय राउत का सवाल - ये हिम्मत कौन कर सकता है?

Story 1

स्टुपिड-स्टुपिड-स्टुपिड : ऋषभ पंत ने लिया गावस्कर से बेइज्जती का बदला!

Story 1

पति से झगड़ा! पत्नी चढ़ी हाईटेंशन टावर पर, पुलिस के फूले हाथ-पांव

Story 1

क्या छावा बनी नागपुर हिंसा की वजह? फडणवीस ने ठहराया ज़िम्मेदार

Story 1

नागपुर हिंसा पर बीजेपी विधायक का गंभीर आरोप: पुलिस हिंदुओं के साथ नहीं!