देश का सबसे बड़ा गोल्डन थीफ , जेल में बंद सरगना कई राज्यों के लिए सिरदर्द
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बिहार की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक में कैद सुबोध सिंह पिछले 6 सालों से बाहर की दुनिया नहीं देख पाया है, लेकिन फिर भी वह देश के कई राज्यों की पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। जेल में रहते हुए भी उसके खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। पुलिस उसे गोल्डन थीफ के नाम से जानती है, जबकि नए अपराधियों के लिए वह जुर्म का गॉडफादर है। जेल के अंदर से वह इशारा करता है और बाहर उसके गुर्गे बड़ी-बड़ी वारदातों को अंजाम देते हैं।

पटना के बेउर जेल में बंद सुबोध सिंह का नाम एक बार फिर सोने की लूट के मामले में सामने आया है।

आरा के तनिष्क शोरूम में हुई लूट के मामले में भी सुबोध सिंह का नाम सामने आया है। हालांकि, वह इस समय बेउर जेल से रिमांड पर पश्चिम बंगाल की जेल में है। लेकिन जेल में बंद रहने के बाद भी सोने की लूट का उसका काम जारी है।

सुबोध सिंह बिहार के नालंदा जिले का रहने वाला है। उसने जुर्म की दुनिया में कदम रखने के बाद सिर्फ बड़ी वारदातों को ही अंजाम दिया है। सुबोध सिंह की कमजोरी सोना है। उसने न सिर्फ बिहार और झारखंड, बल्कि देश के अलग-अलग राज्यों में गोल्ड लूट की बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। अब तक सुबोध सिंह और उसके गिरोह ने 400 किलो से ज्यादा का सोना लूटा है। इसके गिरोह के कई सदस्य पुलिस मुठभेड़ में मारे गए और कई गिरफ्तार किए गए, लेकिन फिर भी उसका गिरोह बढ़ता ही जा रहा है।

पिछले 6 सालों से सुबोध सिंह जेल में होने के बावजूद उसके गैंग ने देश के अलग-अलग शहरों में गोल्ड लूट की बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है। आरा में तनिष्क शोरूम में हुई लूट की घटना में भी इसी का नाम सामने आया है। उसके 2 गुर्गे पुलिस मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किए गए थे। इससे पहले, पिछले साल पूर्णिया के तनिष्क शोरूम में भी इस गिरोह ने लूट की घटना को अंजाम दिया था और उसके आरोपी भी गिरफ्तार किए गए थे।

बिहार, झारखंड, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़... ये वो राज्य हैं जहां की पुलिस इस गोल्डन थीफ से डरती है। इन सभी राज्यों में इसके गिरोह ने गोल्ड लूट की बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है।

26 नवंबर 2022 को मध्य प्रदेश के कटनी में मन्नपुरम गोल्ड लोन बैंक से 16 किलो सोना और 3.5 लाख रुपयों की लूट हुई थी। इस मामले की जांच के लिए एक SIT बनाई गई थी, जिसमें 120 पुलिसकर्मी शामिल थे। जांच के दौरान पुलिस ने दो लुटेरों को गिरफ्तार किया था। ये दोनों लुटेरे बिहार के थे, जिनमें से एक की पहचान पटना के शुभम तिवारी के रूप में हुई है। जांच में सामने आया कि इस घटना का मास्टरमाइंड पटना के बेउर जेल में बंद सुबोध सिंह था।

मध्य प्रदेश के अलावा, राजस्थान पुलिस भी 24 अगस्त को हुए लूट मामले की जांच में पटना आई हुई है। इस घटना में भी 14 किलो सोना लूटा गया था। इससे पहले, 6 सितंबर 2022 को झारखंड के धनबाद में भी दिनदहाड़े लुटेरों ने बैंक मोड़ थाना क्षेत्र में स्थित मुथुत गोल्ड लोन बैंक पर धावा बोला था। यहां पुलिस के साथ मुठभेड़ में एक लुटेरा मारा गया था और दो गिरफ्तार हुए थे। इस घटना में भी सुबोध सिंह ही मास्टरमाइंड था।

6 राज्यों की पुलिस के लिए सिरदर्द बन चुके सुबोध की गिरफ्तारी भी नाटकीय ढंग से हुई थी। बिहार STF ने साल 2018 में सुबोध को पटना से गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद इसके ठिकाने से 15 किलो सोने के जेवरात सहित कई हथियार बरामद हुए थे। सुबोध के शरीर पर ही करीब 1.5 किलो के सोने के जेवरात थे।

पटना में सुबोध अपनी प्रेमिका से मिलने आया हुआ था। STF को इसकी भनक लग गई, जिसके बाद उसने जाल बिछाया, जिसमें वह पकड़ा गया। बताया जाता है कि पकड़े जाने के बाद उसने टीम में शामिल पुलिसकर्मियों को 50 लाख रुपये का ऑफर दिया था। उस समय सुबोध के ठिकानों से 30 पिस्टल, एक 32 पिस्टल, एक कट्टा, 25 कार्टेज, एक बुलेटप्रूफ जैकेट, 8 मोबाइल, बाइक और स्कूटी बरामद हुई थीं।

गिरफ्तारी के पहले, सुबोध सिंह ने 21 जुलाई 2017 को राजस्थान के मानसरोवर में स्थित मुथूट फाइनेंस की ब्रांच में धावा बोलकर करीब 27 किलो सोना और नकदी लूट ली थी।

सुबोध हाईटेक तरीके से अपना गिरोह चलाता था। जहां भी वारदात करनी होती थी, पहले वहां रेकी करता था और लोकल इनपुट लेता था। वह महंगे होटलों में रहता था, फिर लौट आता था। घटना के एक दिन पहले वह फ्लाइट से जाता था और घटना को अंजाम देकर ट्रेन से लौट जाता था। उसके पास से मिले पासपोर्ट से पता चला कि वह विदेश भी आता-जाता था।

खबर है कि सुबोध जेल में रहने के दौरान भी अपना गिरोह बखूबी चला रहा है। पटना के बेउर जेल में रहने के दौरान वह लगातार अपने गिरोह को संगठित करता रहा है। वह जेल में रहने के दौरान उन कम उम्र के लड़कों पर नजर रखता है जो छोटे-मोटे अपराध में जेल में आते हैं। वह उनका ब्रेनवॉश करता है और उन्हें जेल में सुविधा दिलाता है। साथ ही, ज्यादा पैसा कमाने का लालच देकर उन्हें अपने गिरोह में शामिल कर लेता है। जेल से बाहर आने पर ये लड़के उसके लिए काम करते हैं। इसके अलावा, गिरोह के जो साथी मारे जाते हैं या गिरफ्तार होते हैं, उनके परिवार की देखभाल भी वह करता है। यही वजह है कि गिरोह के सदस्य उसके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं।

सुबोध सिंह एक घटना में शामिल नए अपराधियों को दूसरी घटना में शामिल नहीं करता है। जो गद्दारी करते हैं, उनकी वह हत्या करवा देता है। उसने हाजीपुर जेल के अंदर ही अपने विरोधी अमित की हत्या करवा दी थी।

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