क्या फिर से नेपाल में होगी हिन्दू राजशाही की वापसी? पूर्व नरेश के स्वागत में उमड़े लाखों!
News Image

नेपाल में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस बार लड़ाई पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि हिन्दू राजशाही की वापसी के लिए है। लोकतंत्र के आने से पहले नेपाल के राजा रहे ज्ञानेंद्र शाह काठमांडू वापस लौटे हैं, और उन्होंने नेपाली जनता को एक सन्देश भी दिया है।

रविवार (9 मार्च, 2025) को पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पोखरा से एक विशेष हेलिकॉप्टर से काठमांडू आए। एयरपोर्ट के बाहर लाखों की भीड़ ने उनका स्वागत किया।

राजा ज्ञानेंद्र एक गाड़ी में सवार हुए और उनके समर्थक राजशाही वापस लाने के नारे लगा रहे थे। लोगों ने हाथों में राजशाही वापस लाओ , हमें हमारा राजा वापस दो और ये नेपाल ज्ञानेंद्र का है की तख्तियां पकड़ी हुई थीं। भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी।

ज्ञानेंद्र इसके बाद अपने घर निर्मल निवास चले गए। 77 वर्षीय ज्ञानेंद्र नेपाल के अलग-अलग मंदिरों में पूजा करने के बाद काठमांडू पहुँचे हैं। इस बार इतनी बड़ी भीड़ राजशाही के समर्थन में सड़कों पर उमड़ी है। नेपाल में लगातार राजशाही वापस लाने के लिए रैलियाँ आयोजित हो रही हैं।

भीड़ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो लिए लोग भी दिखे। इन पोस्टर पर भी राजशाही के समर्थन में बातें लिखी हुई थीं। योगी आदित्यनाथ नाथ पंथ के मुखिया हैं, जिसका नेपाल के राजपरिवार के साथ विशेष रिश्ता रहा है।

ज्ञानेंद्र के एक वीडियो संदेश से भी भीड़ का उत्साह बढ़ा हुआ था। इस वीडियो में ज्ञानेंद्र ने कहा कि नेपाल का इतिहास मिटाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने हिन्हार नेपालियों के लगातार विदेश जाने पर चिंता जताई।

ज्ञानेंद्र ने नेपाल के लोकतंत्र समर्थक नेताओं पर हमला बोला और आरोप लगाया कि उन्होंने बदलाव लाने का वादा किया था लेकिन इसमें पूरी तरह फेल हो गए। उन्होंने कहा कि नेपाल पर कोई विपदा ना आए, इसलिए उन्होंने अपने पद भी छोड़ दिए थे।

नेपाल पर लगभग 6 साल तक राज करने वाले ज्ञानेंद्र ने चेतावनी देते हुए कहा कि उनके त्याग को कमजोरी ना समझा जाए। उन्होंने कहा कि अब नेपाल को बचाने का समय आ गया है और इसमें सभी नेपाली उनका साथ दें। उन्होंने कोई भी जिम्मेदारी उठाने के लिए खुद को तैयार बताया।

राजा ज्ञानेंद्र के वापस आने और लाखों लोगों के समर्थन में उतरने के बाद नेपाली पार्टियों में खलबली मच गई है। नेपाल की सरकार ने राजशाही समर्थकों पर जुर्माना लगाया है। अन्य पार्टियाँ अभी इस पर कुछ भी कहने से बच रही हैं।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आरोप लगाया है कि राजा ज्ञानेंद्र देश को अस्थिर करना चाहते हैं। ओली ने ज्ञानेंद्र को चुनाव में उतरने की चुनौती दी है और उनसे पूछा है कि वे लोगों का समर्थन क्यों माँग रहे हैं।

नेपाल में राजशाही का अंत 2008 में हुआ था। तब तक नेपाल हिन्दू राष्ट्र हुआ करता था। ज्ञानेंद्र नेपाल के आखिरी राजा थे। राजशाही का अंत माओवादी आंदोलन के चलते हुआ था, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे। इसके बाद ज्ञानेंद्र ने गद्दी छोड़ने का ऐलान किया था।

2008 में लोकतंत्र की स्थापना के बाद से नेपाल लगातार राजनीतिक अस्थिरता झेलता आया है। माओवादी पार्टियां अलग हो चुकी हैं और 2008 के बाद से नेपाल में 13 बार सरकार बदल चुकी है। संविधान भी बदल चुका है, जिसके चलते राजशाही के प्रति लोगों का आकर्षण वापस बढ़ रहा है।

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

शैम्पेन की होली: जीत के बाद विराट ने ऋषभ पंत को शैम्पेन से नहलाया!

Story 1

भारत की चैंपियंस ट्रॉफी जीत के साथ ही 2027 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान-उपकप्तान का ऐलान!

Story 1

डिजिटल मॉम! फोन के चक्कर में बच्चे को पार्क में भूली, वीडियो वायरल

Story 1

चैंपियन ट्रॉफी जीत के जश्न पर पथराव, महू में तनाव

Story 1

के.एल. राहुल की जीत पर सुनील शेट्टी ने बांधे तारीफों के पुल, सोशल मीडिया पर उमड़ी प्रतिक्रिया

Story 1

पेपर पढ़कर ही जवाब देंगे? मंत्री को क्लास में भेजो! - संसद में जया बच्चन का हंगामा

Story 1

अपनी बेटी को नींद की गोलियां खिलाकर दो साल तक बलात्कार, विरोध करने पर छोटी बहन को धमकी!

Story 1

पिंजरे में फंसा लालची सांप: अंडा निगलने के बाद हुई हालत देख कांप उठेंगे!

Story 1

पुलिस बुलाई, अंडे फोड़े, चटनी लगाई, फिर भी 38 घंटे तक अटल! क्या है ये माजरा?

Story 1

अरे चाचा तो इमोशनल हो गए! संगत का असर समझाते अंकल का वायरल वीडियो