तुर्की का दोगला रवैया संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट से उजागर हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की के बंदरगाहों का इस्तेमाल इज़राइल ने युद्ध सामग्री पहुंचाने के लिए किया।
तुर्की आजकल भारत की मशहूर कंपनी टाटा ग्रुप पर आरोप लगा रहा है। तुर्की का ब्रॉडकास्टर टीआरटी दावा कर रहा है कि टाटा ने गाजा युद्ध के लिए इज़राइल को हथियारों के पुर्जे दिए।
मगर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में तुर्की की पोल खुल गई है। रिपोर्ट स्पष्ट रूप से कहती है कि तुर्की स्वयं इज़राइल की मदद कर रहा था।
पत्रकार सिद्धांत सिब्बल ने संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट की प्रति साझा की है। सिद्धांत ने लिखा है कि, जिन बंदरगाहों ने एफ-35 के पुर्जों, हथियारों, जेट ईंधन, तेल और अन्य सामग्रियों को इज़राइल तक पहुंचाने में मदद की है, उनमें तुर्की भी शामिल है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2025 में जब इज़राइल ने गाजा पर कब्ज़ा किया, तब भी मिस्र ने इज़राइल के साथ 35 बिलियन अमेरिकी डॉलर का गैस समझौता किया था। यह इज़राइल के इतिहास में सबसे बड़ा गैस सौदा था। यूरोपीय यूनियन और मिस्र लगातार गाजा के पास से गैरकानूनी तरीके से गुज़रने वाली गैस पाइपलाइन से गैस खरीदते रहे हैं।
इज़राइल का व्यापार और सामान की आवाजाही दूसरे देशों के परिवहन तंत्र पर निर्भर रही है। अमेरिका के अलावा तुर्की, फ्रांस, इटली, बेल्जियम, नीदरलैंड, ग्रीस, मोरक्को आदि देशों के बंदरगाहों से एफ-35 के पुर्जे, हथियार, जेट ईंधन, गैस और तेल सहित दूसरी सामग्री इज़राइल तक पहुँचाई गई।
तुर्की गाजा के विनाश के लिए भारतीय कंपनी टाटा समूह पर आरोप लगा रहा है। टीआरटी का कहना है कि इज़राइल को हार्डवेयर और अन्य युद्ध सामग्री टाटा ने उपलब्ध कराई।
टाटा समूह की कंपनी टाटा मोटर्स की सहायक कंपनी जगुआर लैंड रोवर पर एमडीटी डेविड हल्के वाहनों के चेसिस की आपूर्ति करने का आरोप है। टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर इज़राइल की वित्तीय और सरकारी प्रणालियों के लिए महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा प्रदान करने और प्रोजेक्ट निम्बस में भागीदारी करने का आरोप है। टीआरटी का दावा है कि इसका इस्तेमाल इज़राइल ने गाजा की निगरानी में किया।
टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) पर आरोप है कि वह सभी नए एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए विंग और सभी एएच-64 अपाचे हमलावर हेलीकॉप्टरों के लिए फ्यूज़लेज उपलब्ध कराता है। जबकि इन विमानों के फ्यूल की व्यवस्था तुर्की के बंदरगाहों ने की। इन्हीं बंदरगाहों से विमानों के कलपुर्जे और दूसरे सामान मंगाए गए। इनका इस्तेमाल गाजा युद्ध में इज़राइल ने किया।
तुर्की को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। इज़राइल को मदद करने के सबूत संयुक्त राष्ट्र के पास हैं। इज़राइल-फिलिस्तीन युद्ध और गाजा में बमबारी के दौरान इज़राइल द्वारा इस्तेमाल किए गए विस्फोटकों को पहुंचाने में तुर्की का हाथ रहा है। जबकि भारत ने इस युद्ध से दूरी बनाए रखी और मानवीय आधार पर इज़राइल के साथ-साथ गाजा में रहने वाले लोगों की मदद की। तुर्की के दोगले रवैये का यह एक और उदाहरण है।
दरअसल, यह वही तुर्की है, जिसने गाजा युद्ध के दौरान अपने हवाई अड्डों को इज़राइल के लिए बंद करने का ऐलान किया था। यहाँ तक कि अपने बंदरगाहों पर इज़रायली जहाजों के आने पर पाबंदी लगा दी थी, लेकिन अब उसकी असलियत सामने आ गई है।
तुर्की उन कुछ देशों में शामिल है, जिनकी नीति भारत विरोध की रही है। तुर्की पर जब प्राकृतिक आपदा आई, तो उसकी मदद के लिए सबसे पहला हाथ भारत ने उठाया।
लेकिन जब भारत पर पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला किया और भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया, तो तुर्की को सार्वभौमिकता याद आ गई। उसने ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिए और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस्लामाबाद के पक्ष में खड़ा दिखाई दिया था।
अब साजिश के तहत भारतीय कंपनियों को टारगेट किया जा रहा है। दरअसल, यह सब सामने आया था कि तुर्की में भारतीय पर्यटकों की संख्या काफी कम हो गई है। पहले भारतीयों की पसंदीदा जगहों में इस्तांबुल हुआ करता था। हिंदी फिल्मों की शूटिंग भी यहां काफी होती थी, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के दौरान तुर्की के स्टैंड की वजह से भारत में नाराजगी दिखाई दी।
सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey हैशटैग ट्रेंड करने लगा। तुर्की की यात्रा रद्द करने की अपील की जाने लगी और पर्यटन एजेंसियों ने अपनी सेवाएं रोक दी। तुर्की के पर्यटन उद्योग पर काफी असर पड़ा। अनुमान के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर के बाद 33.3% भारतीय पर्यटकों की संख्या यहां कम हो गई। इसकी खीझ निकालने के लिए अब तुर्की भारतीय कंपनियों को टारगेट कर रहा है।
संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जिन देशों ने इज़राइल को ज़रूरी सामानों, यहाँ तक कि तेल और गैस के आवाजाही के लिए अपने बंदरगाह का इस्तेमाल करने दिया, उनमें तुर्की, फ्रांस, इटली, मोरक्को भी शामिल हैं।
अब तुर्की से पूछा जाना चाहिए कि उसने किस आधार पर टाटा समूह पर उंगली उठाई। इज़राइल के सामान के लिए अपने बंदरगाह का इस्तेमाल करने की इजाजत दी। न सिर्फ तुर्की, बल्कि यूरोपीय देशों और मिस्र ने गैस डील की। यह गाजा पर आक्रमण करने से अब तक जारी है।
Turkish broadcaster TRT targets Indian company over Israel ties, but forgets to mention, a UN report this month said, ports known to have facilitated trans-shipment to Israel of F-35 parts, weapons, jet fuel, oil and/or other materials include Türkiye pic.twitter.com/EYlBxvMZel
— Sidhant Sibal (@sidhant) October 25, 2025
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