छठ से पहले यमुना में तेज़ी, श्रद्धालुओं के दर्द से घाटों पर गंदगी का अंबार!
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छठ पूजा से पहले हरियाणा सरकार ने यमुना नदी में पानी का प्रवाह बढ़ा दिया है। हथनीकुंड बैराज से यमुना के मुख्य चैनल में अतिरिक्त पानी छोड़ा गया है। इससे नदी का प्रवाह तेज हुआ है, और छठ पर्व पर श्रद्धालुओं को स्वच्छ घाटों और बेहतर माहौल मिलने की उम्मीद है।

अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि यह निर्णय केवल छठ पूजा के मद्देनज़र नहीं लिया गया है। उनका कहना है कि यमुना का पुनर्जनन करना उनका लक्ष्य है।

हरियाणा सरकार के इस कदम से यमुना नदी का प्रवाह बढ़ने की उम्मीद है। हथनीकुंड बैराज से छोड़े गए अतिरिक्त पानी से यमुना में जलस्तर बढ़ेगा, जिससे नदी का पानी अपेक्षाकृत साफ दिखाई देगा। इससे छठ पूजा के दौरान श्रद्धालुओं को स्नान व अर्घ्य में सहूलियत होगी।

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ा हुआ जल प्रवाह नदी के प्रदूषण स्तर को घटाने में मदद करता है। लगातार बहते पानी से रासायनिक और जैविक अपशिष्टों का घनत्व कम होता है, जिससे नदी की सेहत में सुधार होता है और उसके प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने में मदद मिलती है।

केंद्रीय जल आयोग (CWC) के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार शाम 5 बजे से हथनीकुंड बैराज से यमुना की पूर्वी और पश्चिमी नहरों में पानी का प्रवाह पूरी तरह रोक दिया गया। इसके बजाय, पूरा पानी यमुना की मुख्य धारा में छोड़ा गया, जिससे नदी का प्रवाह उल्लेखनीय रूप से बढ़ गया।

मंगलवार शाम 5 बजे यह प्रवाह 130.2 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड (क्यूमेक्स) दर्ज किया गया, जो रात 7 बजे तक बढ़कर 293.81 क्यूमेक्स तक पहुंच गया। दिल्ली के लिए निर्धारित न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह से यह मात्रा 30 गुना ज्यादा है।

हालांकि, यमुना घाटों पर गंदगी और बदइंतजामी से श्रद्धालु नाराज हैं। दिल्ली में यमुना नदी के किनारे हालात फिर पुराने जैसे नजर आ रहे हैं। श्रद्धालुओं को बदबूदार पानी, बिखरा कचरा और अधूरे इंतजाम परेशान कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने दावा तो किया था कि राजधानी में 1000 से अधिक घाटों पर भव्य आयोजन किया जाएगा, लेकिन जमीनी हकीकत सरकार के वादों से मेल नहीं खा रही। ITO के छठ घाट पर कचरे के ढेर, गाद से भरी यमुना और अव्यवस्थित स्थल देखकर श्रद्धालु नाराज नजर आए।

स्थानीय लोगों का कहना है कि हर साल सफाई और स्वच्छ जल के वादे किए जाते हैं, लेकिन पूजा के दिन फिर वही बदहाल दृश्य देखने को मिलते हैं।

सुबह के वक्त जब श्रद्धालु ITO घाट पर पहुंचे, तो उनके सामने यमुना का काला पानी और किनारों पर बिखरा कचरा था। हवा में बदबू घुली हुई थी और घाट पर कपड़े बदलने या बैठने की उचित व्यवस्था तक नहीं दिखी। यहां स्नान करने आई महिलाओं को खुले में ही कपड़े बदलने को मजबूर होना पड़ा।

श्रद्धालुओं का कहना है कि सरकार भव्य आयोजन के दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत पूरी तरह उलट है। घाटों पर सफाई, पानी की गुणवत्ता और मूलभूत सुविधाओं की कमी ने आस्था के इस पर्व को चिंता और असुविधा में बदल दिया है।

एक तरफ जहां यमुना घाटों पर अव्यवस्था और गंदगी की तस्वीरें सामने आ रही हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली की मुख्यमंत्री ने छठ पर्व को लेकर भव्य तैयारियों का दावा किया है। इस बार राजधानी में करीब 1500 घाट तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें यमुना किनारे 23 बड़े घाट और 17 मॉडल घाट शामिल हैं।

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