सद्गुरु ने दिवाली के अवसर पर अपना संदेश साझा किया है, जिसमें उन्होंने लोगों से अपने अंदर की रोशनी जगाने का आग्रह किया है।
उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा, अंधेरे का मिटना ही प्रकाश की प्रकृति है। मेरी कामना है कि आपका आंतरिक प्रकाश बढ़े - ताकि वह आपको और आपके संपर्क में आने वाली हर चीज को रोशन कर सके। आपको एक शानदार दिवाली की शुभकामनाएं। प्रेम और आशीर्वाद।
प्रकाश के उत्सव के महत्व को समझाते हुए सद्गुरु ने कहा कि केवल प्रकाश में ही हम बेहतर देख सकते हैं। बेहतर देखने के लिए हमें अपनी आंखों से ही नहीं, अपने मन में भी स्पष्टता से देखना चाहिए। अगर हम चीजों को स्पष्ट रूप से नहीं देखते, तो हम कहीं नहीं पहुंच रहे हैं।
सद्गुरु ने त्योहार के पीछे के वैज्ञानिक कारण पर बात करते हुए बताया कि दिवाली उत्तरी गोलार्ध में मौसमी बदलावों की समझ से आई है। सर्दियों में, जब धरती का उत्तरी भाग सूर्य से दूर हो जाता है, तो ठंड बढ़ जाती है और पर्याप्त धूप नहीं मिलती। यह ऐसा समय होता है जब इंसान उदास होने लगते हैं, न केवल मानसिक रूप से, बल्कि शारीरिक रूप से भी। हर चीज धीमी पड़ने लगती है।
इसलिए दीपक जलाना इसका एक हिस्सा है। हम कई तरह के दीपक जला सकते हैं, लेकिन अरंडी के तेल से दीपक जलाना सबसे अच्छा है, क्योंकि इसमें धुएं का स्तर कम होता है।
भारतीय संस्कृति और त्योहारों के गहरे उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए सद्गुरु ने कहा कि यह एक ऐसी सभ्यता से आया है जो ऐसे इंसान पैदा करना चाहती है जो निडर, लालच रहित और अपराध बोध से मुक्त हों।
डर इसलिए पैदा होता है क्योंकि व्यक्ति कुछ ऐसी कल्पना करता है जो अभी तक नहीं हुआ है। जब किसी व्यक्ति का अपनी इंद्रियों पर अच्छा नियंत्रण होता है, तो वह निडर हो जाता है।
व्यक्ति खुद को समावेशी बनाकर अपराध बोध से मुक्त हो जाता है। जब हम समावेशी होते हैं, तो हम कभी कुछ गलत नहीं करेंगे, और इसलिए कोई अपराध बोध नहीं होगा।
हम लालच रहित तब होते हैं जब हम खुद को इस तरह से बनाते हैं कि बैठे हुए ही तृप्त महसूस करें। तब बेहतर बनने के लिए कुछ और करने की जरूरत नहीं रहती।
सद्गुरु ने निष्कर्ष में कहा, आप निडर हैं, आप अपराध बोध से मुक्त हैं और आप लालच रहित हैं। अगर ऐसा होता है, तो हमने एक अद्भुत मानवता का निर्माण किया है। मानवता का मतलब कोई एक या सभी लोग नहीं होते। इसका मतलब स्वयं से है। अगर यह शानदार बन जाता है, तो बाकी हर चीज शानदार हो जाती है। उन्होंने इस दिवाली पर लोगों से अपनी आंतरिक ज्योति जलाने का आग्रह किया।
Obliteration of darkness is the nature of Light.
— Sadhguru (@SadhguruJV) October 20, 2025
May your inner Light grow – to illuminate you and all that you touch.
A Dazzling Diwali to you.
Love & Blessings,
Sadhguru pic.twitter.com/KRubFdSDED
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