सीरियाई राष्ट्रपति अहमद-अल-शारा और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मॉस्को में मुलाकात हुई. अहमद-अल-शारा रूस एक राजकीय अतिथि के रूप में पहुंचे हैं.
इस मुलाकात का उद्देश्य रूस और सीरिया के संबंधों को फिर से मजबूत करना है. रूसी मीडिया के अनुसार, पुतिन और अहमद की बैठक में सीरिया में उन सैन्य अड्डों पर भी चर्चा हुई जहां रूसी सेना तैनात है.
मॉस्को में होने वाली किसी भी बड़ी घटना का प्रभाव यूरोप और अमेरिका तक महसूस किया जाता है. पुतिन और अहमद शारा की मुलाकात के बाद भी ऐसा ही हुआ है.
इस मुलाकात से पूरी दुनिया, खासकर अमेरिका, हैरान है. इससे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 14 मई को सऊदी अरब में अहमद-अल-शारा से मुलाकात की थी.
ट्रंप ने दावा किया था कि मध्य पूर्व में अमेरिकी प्रभाव फिर से स्थापित हो गया है, लेकिन पांच महीने के भीतर ही अहमद-अल-शारा और पुतिन मिल रहे हैं.
कुछ लोग इसे ट्रंप की कूटनीतिक हार के रूप में देख रहे हैं. पुतिन और अहमद अल शारा की यह पहली मुलाकात है और पहली ही मुलाकात में रूस के सैन्य अड्डों पर बात करना संकेत देता है कि पुतिन सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाना चाहते हैं.
वर्तमान में, सीरिया में रूस के तीन सैन्य अड्डे हैं: माइमिम, जहाँ रूसी वायु सेना तैनात है; तारतस, जहाँ रूसी नौसेना मौजूद है; और कमीशली, जहाँ रूसी विशेष बलों की तैनाती बताई जाती है.
सीरिया में अमेरिका के भी दो सैन्य अड्डे हैं, लेकिन वे रूस की तुलना में काफी छोटे हैं. अगर पुतिन सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाते हैं, तो इससे न केवल मध्य पूर्व में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती मिलेगी, बल्कि अमेरिका के मित्र देश और सीरिया के साथ सीमा साझा करने वाले इजरायल के लिए भी मुश्किलें खड़ी होंगी.
इस वर्ष जनवरी में, इजरायल ने यूक्रेन को एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलें दी थीं. इजरायली कंपनियां यूक्रेनी सेना के लिए तोप के गोले भी लगातार सप्लाई कर रही हैं.
अगर सीरिया में रूस की सैन्य उपस्थिति बढ़ती है, तो यह नेतन्याहू के लिए एक ऐसा दबाव बिंदु बन जाएगा जो इजरायल को यूक्रेन को सैन्य सहायता देने से रोक सकता है.
अहमद-अल-शारा के आतंकी गुट ने इसी वर्ष सीरिया के पूर्व राष्ट्रपति बशर-अल-असद का तख्तापलट किया था. तख्तापलट के बाद रूस ने असद को राजनीतिक शरण दी है. असद के विरोधी भी रूस से हाथ मिलाने के लिए मॉस्को आ गए हैं.
कहा जाता है कि पुतिन पहले विरोधी की चाल का इंतजार करते हैं और फिर ऐसी बिसात बिछाते हैं जो विरोधी को पूरी तरह से मात दे देती है. अहमद-अल-शारा को अपने खेमे में लाकर पुतिन ने एक बार फिर अपनी कूटनीति की काबलियत साबित कर दी है.
#DNAWithRahulSinha : ट्रंप का खास ..पुतिन के खेमे में चला गया!.. मिडिल ईस्ट के मैदान में पुतिन की री-एंट्री #DNA #DonaldTrump #Putin #MiddleEast #Politics | @RahulSinhaTV pic.twitter.com/1gP0K7vQAY
— Zee News (@ZeeNews) October 16, 2025
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