बिहार एनडीए में सीट बंटवारे के बाद असंतोष खुलकर सामने आ गया है।
उपेंद्र कुशवाहा नाराज़ होकर बीच रास्ते से ही सासाराम लौट आए और भाजपा संग तय सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए।
जीतनराम मांझी ने लोजपा (रा) प्रमुख चिराग पासवान को कड़ी चेतावनी देते हुए गठबंधन के भीतर नई हलचल पैदा कर दी है।
सीटों को लेकर घटक दलों में बढ़ती खींचतान चुनावी तालमेल के लिए भाजपा के सामने नई मुश्किलें खड़ी कर रही है।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की नाराज़गी मंगलवार को खुलकर सामने आ गई। महुआ और दिनारा सीटों को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने से वह सासाराम जाते समय बीच रास्ते से ही लौट आए।
रालोमो को सासाराम, महुआ, दिनारा, बाजपट्टी, मधुबनी और उजियारपुर सीटें मिलने की संभावना थी। सासाराम से उपेंद्र की पत्नी स्नेहलता और महुआ से उनके बेटे के चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं।
इन तीन सीटों पर अन्य एनडीए दलों ने भी दावा ठोक दिया, इसलिए उन्होंने यात्रा बीच में ही रोक दी।
नाराज़ उपेंद्र कुशवाहा ने सासाराम का दौरा ही नहीं टाला, बल्कि भाजपा के साथ तय सभी साझा कार्यक्रमों को भी स्थगित कर दिया।
उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे भाजपा प्रत्याशियों के नामांकन या सभाओं में शामिल न हों।
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के जीतनराम मांझी ने अपने कोटे की सभी छह सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी।
बाराचट्टी से ज्योति देवी, इमामगंज से बहू दीपा मांझी, टिकारी से अनिल कुमार, अतरी से रोमित कुमार, सिकंदरा से प्रफुल्ल मांझी और कुटुंबा से ललन राम को टिकट दिया गया।
मांझी ने चेतावनी दी कि अगर चिराग पासवान गठबंधन के अन्य दलों की सीटों से अपने उम्मीदवार नहीं हटाते हैं, तो हम पार्टी मखदुमपुर और बोधगया सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।
बिहार एनडीए में सीटों को लेकर असंतोष अब अलग-अलग बयानों और कार्रवाइयों के रूप में सामने आ रहा है। एक तरफ उपेंद्र कुशवाहा भाजपा के साथ दूरी बनाते दिख रहे हैं, तो दूसरी ओर मांझी और चिराग में तनातनी के संकेत हैं।
सीटों पर ओवरलैपिंग दावों ने गठबंधन के भीतर अविश्वास को बढ़ा दिया है। यह स्थिति चुनावी रणनीति और सीट तालमेल के लिहाज से भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।
एनडीए के इन आंतरिक झगड़ों से यह साफ झलकता है कि हर घटक दल अपने-अपने राजनीतिक हित साधने में जुट गया है।
उपेंद्र कुशवाहा अपने परिवार की राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने की कोशिश में हैं, मांझी अपनी पार्टी की स्वायत्तता को लेकर सख्त रुख दिखा रहे हैं और चिराग पासवान अपनी सीटों की रणनीति पर पीछे हटने को तैयार नहीं दिखते।
भाजपा के लिए सभी घटकों को एक मंच पर लाना और चुनाव से पहले मतभेदों को सुलझाना बड़ी चुनौती बन गया है।
*Bihar Election 2025: बिहार एनडीए में मचा घमासान!
— Prabhat Khabar (@prabhatkhabar) October 15, 2025
उपेंद्र कुशवाहा नाराज, मांझी ने चिराग को दी चेतावनी - सीटों को लेकर बढ़ा गठबंधन संकट.#Bihar #BiharElections2025 @UpendraKushRLM #chiragpaswan #seatsharing pic.twitter.com/uEvsH0Ocku
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