अफगानिस्तान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें महिला पत्रकारों को भी बुलाया गया. पहले महिलाओं को ना बुलाने पर तालिबान की काफी आलोचना हुई थी.
मुत्तकी ने कहा कि यह जानबूझकर नहीं किया गया था. प्रेस कॉन्फ्रेंस की जानकारी बहुत कम समय में दी गई थी और एक लिमिटेड लिस्ट के हिसाब से निमंत्रण भेजा गया था.
एक महिला पत्रकार ने मुत्तकी से पूछा कि जब ईरान, सऊदी अरब और सीरिया में लड़कियों को पढ़ने से नहीं रोका जा रहा है, तो अफगानिस्तान में लड़कियों के पढ़ने पर रोक क्यों है?
मुत्तकी ने जवाब दिया कि अफगानिस्तान के दुनिया भर के उलेमाओं और मदरसों के साथ गहरे रिश्ते हैं. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में स्कूलों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों में एक करोड़ छात्र पढ़ रहे हैं, जिनमें से 28 लाख महिलाएं और लड़कियां हैं.
मुत्तकी ने कहा कि कुछ खास हिस्सों में ही हद हैं, और इसका मतलब यह नहीं कि हम शिक्षा के खिलाफ हैं. हमने इसे धार्मिक रूप से हराम घोषित नहीं किया है, लेकिन इसे दूसरे आदेश तक के लिए टाल दिया गया है.
2021 में अफगानिस्तान में मारे गए पुलित्जर विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की मौत पर मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान ने चार दशकों तक युद्ध झेला है. उन्होंने कहा कि इस दौरान पत्रकारों और शिक्षा जगत के लोगों ने अपनी जान गंवाई.
मुत्तकी ने कहा कि पिछले चार सालों में उनके शासनकाल में किसी भी रिपोर्टर, जर्नलिस्ट या अन्य व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.
मुत्तकी ने बताया कि उन्होंने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की और कई मुद्दों पर चर्चा की. भारत और अफगानिस्तान के बीच रुकी हुए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स को फिर से शुरू करने की बात हुई है.
इसके अलावा अफगान राजनयिक जल्द ही भारत में काम शुरू करेंगे. तालिबान की तरफ से चाबहार पोर्ट के जरिए व्यापार बढ़ाने और वाघा बॉर्डर खोलने की अपील की गई. देवबंद दारुल उलूम के साथ स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम की बात भी हुई.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुत्तकी ने अमृतसर और अफगानिस्तान के बीच उड़ानें जल्द शुरू होने की भी जानकारी दी.
पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सैन्य झड़प पर मुत्तकी ने कहा कि तालिबान का पाकिस्तान के लोगों से कोई झगड़ा नहीं है, लेकिन कुछ लोग समस्याएं पैदा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम तनाव नहीं चाहते, लेकिन अगर बातचीत से हल नहीं निकला तो और भी रास्ते हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान को अपनी समस्याएं खुद देखनी चाहिए. उन्होंने साफ किया कि अफगानिस्तान की जमीन पर TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) का कोई ठिकाना नहीं है.
महिला पत्रकारों को ना बुलाने पर विवाद के बाद भारत सरकार की भी आलोचना हुई थी. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और इंडियन विमेंस प्रेस कॉर्प्स (IWPC) ने महिला पत्रकारों को बाहर रखे जाने को बहुत ज्यादा भेदभावपूर्ण करार दिया था.
हालांकि, भारत सरकार ने साफ किया कि तालिबान के पिछले प्रेस इवेंट में उसकी कोई भूमिका नहीं थी. विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगान विदेश मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस से भारत सरकार का कोई लेना-देना नहीं था.
*#WATCH | Delhi | On the issue of women journalists not being invited to his presser two days ago, Afghanistan Foreign Minister Amir Khan Muttaqi says, With regards to the press conference, it was on short notice and a short list of journalists was decided, and the participation… pic.twitter.com/zM8999yc0l
— ANI (@ANI) October 12, 2025
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