नाटो 13 अक्टूबर से एक प्रमुख परमाणु युद्धाभ्यास शुरू करने जा रहा है. नाटो प्रमुख ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की.
अभ्यास का एक महत्वपूर्ण भाग हथियारों के इस्तेमाल से पहले उनकी सुरक्षा पर केंद्रित होगा.
हालांकि, नाटो ने स्पष्ट किया है कि अभ्यास के दौरान परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं किया जाएगा. फाइटर जेट परमाणु बम लेकर नहीं उड़ेंगे, बल्कि केवल इसका प्रदर्शन किया जाएगा.
नाटो चीफ ने नीदरलैंड के एक एयरबेस से इस अभ्यास की घोषणा की.
स्टीडफास्ट नून नामक यह अभ्यास लगभग दो सप्ताह तक चलेगा. इसका नेतृत्व नीदरलैंड करेगा और इसमें 14 नाटो देशों के 71 विमान शामिल होंगे.
यह अभ्यास एक दशक से भी अधिक समय से लगभग हर साल इसी समय आयोजित किया जाता रहा है.
नाटो महासचिव मार्क रूट ने कहा कि यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि हमारा परमाणु निवारक तंत्र यथासंभव विश्वसनीय, सुरक्षित और प्रभावी बना रहे.
उन्होंने यह भी कहा कि यह किसी भी संभावित विरोधी को स्पष्ट संकेत देता है कि नाटो अपने सभी सहयोगियों की सभी खतरों से रक्षा करेगा और कर सकता है.
परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बमवर्षक विमान और फाइटर जेट इस अभ्यास में भाग ले रहे हैं, लेकिन किसी भी परमाणु हथियार या जीवित गोला-बारूद का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
अभ्यास का अधिकांश भाग उत्तरी सागर में, रूस और यूक्रेन से दूर आयोजित किया जा रहा है. इसमें बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनमार्क और नीदरलैंड के सैन्य अड्डे शामिल होंगे.
अमेरिका और ब्रिटेन, अपनी परमाणु शक्तियों के साथ, नाटो की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता के लिए महत्वपूर्ण हैं. फ्रांस के पास भी परमाणु हथियार हैं, लेकिन वह संगठन के परमाणु योजना समूह का हिस्सा नहीं है.
नाटो के अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि 32 देशों के गठबंधन की परमाणु तैयारियों का परीक्षण करने के लिए किस तरह के परिदृश्यों का उपयोग किया जाएगा, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि यह किसी विशेष देश के लिए लक्षित नहीं है और न ही इसका वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय घटनाओं से कोई संबंध है.
अमेरिका पारंपरिक या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम F-35 जेट, ईंधन भरने वाले विमान और अन्य सहायक विमान उपलब्ध करा रहा है. फिनलैंड और पोलैंड लड़ाकू विमान भेज रहे हैं. इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण, टोही और खुफिया प्रणालियों का भी इस्तेमाल किया जाएगा.
बेल्जियम के मोन्स स्थित गठबंधन के सैन्य मुख्यालय में नाटो परमाणु अभियानों के प्रमुख कर्नल डैनियल बंच ने कहा कि अभ्यास का एक बड़ा हिस्सा जमीन पर परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर केंद्रित होगा.
यह पूछे जाने पर कि क्या हाल की घटनाओं, खासकर बेल्जियम और डेनमार्क में सैन्य ठिकानों के पास ड्रोन की गतिविधियों को देखते हुए, एक विशेष चिंता का विषय है, उन्होंने कहा कि ड्रोन नाटो के लिए कोई नया खतरा नहीं हैं.
बंच ने कहा कि नाटो लगातार हो रही घुसपैठ पर नजर रख रहा है और विरोधी से एक कदम आगे रहेगा.
पिछले साल गठबंधन के नेताओं द्वारा सहमत वाशिंगटन शिखर सम्मेलन की घोषणा में कहा गया है कि नाटो की परमाणु क्षमता का मूल उद्देश्य शांति बनाए रखना, जबरदस्ती और आक्रामकता को रोकना है. इसमें कहा गया है कि जब तक परमाणु हथियार मौजूद रहेंगे, नाटो एक परमाणु गठबंधन बना रहेगा.
नाटो के परमाणु नीति निदेशालय के प्रमुख जेम्स स्टोक्स ने बताया कि क्रेमलिन की लगातार तीखी बयानबाजी के बावजूद, सहयोगियों ने हाल ही में रूस के परमाणु रुख में कोई बदलाव नहीं देखा है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रूस इस अभ्यास का केंद्र नहीं है, लेकिन कहा कि नाटो रूसी सैन्य गतिविधियों पर नजर रख रहा है, जिसमें यूक्रेन में दोहरे क्षमता वाली मिसाइलों का इस्तेमाल भी शामिल है, जिन्हें परमाणु हथियार ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
NATO’s annual nuclear deterrence exercise – STEADFAST NOON – will start on 13 October.
— NATO (@NATO) October 10, 2025
The exercise is an important demonstration of the Alliance’s nuclear deterrent, and sends a clear message to any adversary that NATO can and will protect and defend all Allies 🛡️ pic.twitter.com/Tbv91mLHfm
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