नोबेल शांति पुरस्कार 2025 मारिया कोरिना मचाडो को दिया जाएगा। नोबेल कमेटी ने वेनेज़ुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों के संरक्षण और तानाशाही से न्यायपूर्ण व शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक परिवर्तन की दिशा में उनके प्रयासों को सम्मानित किया है। कभी हार न मानने वाली मचाडो ने एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और लोकतांत्रिक वेनेज़ुएला की स्थापना के अपने मिशन से कभी पीछे कदम नहीं खींचा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस पुरस्कार के लिए दावेदारी पेश की थी।
ट्रंप ने दावा किया कि उनके कार्यकाल में उन्होंने इज़राइल-हमास, भारत-पाकिस्तान, कंबोडिया-थाईलैंड, और आर्मेनिया-अज़रबैजान के बीच शांति कायम करने में मदद की। हालांकि, विशेषज्ञों ने उनके दावों को लेकर संदेह जताया।
मारिया मचाडो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को कराकास, वेनेजुएला में हुआ था। उन्होंने औद्योगिक इंजीनियरिंग और वित्त की पढ़ाई की। 2002 में उन्होंने स्मेट नामक एक गैर-सरकारी संगठन की स्थापना की, जो चुनावों की निगरानी और नागरिक अधिकारों की रक्षा करता है।
2011 में वे वेनेजुएला की संसद की सदस्य चुनी गईं, लेकिन 2014 में सरकार की आलोचना करने के चलते उन्हें पद से हटा दिया गया। 2013 में वे विपक्षी पार्टी वेंते वेनेजुएला की राष्ट्रीय समन्वयक बनीं।
2023 में हुए विपक्षी दलों के प्राथमिक चुनावों में मचाडो को 92% मतों के साथ बड़ी जीत मिली, लेकिन सरकार ने उन्हें राष्ट्रपति चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया। फिर भी, मचाडो ने एडमंडो गोंजालेज उरुतिया को समर्थन दिया, जिन्होंने 28 जुलाई 2024 को 70% वोटों से जीत हासिल की।
ट्रंप का आरोप है कि वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो एक ड्रग कार्टेल का हिस्सा हैं, जो अमेरिका में ड्रग्स की तस्करी करता है। ट्रंप ने वेनेजुएला की समुद्री सीमा पर अमेरिकी सेना की तैनाती बढ़ा दी है। विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप वेनेजुएला को उकसाना चाहते हैं ताकि सैन्य कार्रवाई कर सकें।
BREAKING NEWS
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 10, 2025
The Norwegian Nobel Committee has decided to award the 2025 #NobelPeacePrize to Maria Corina Machado for her tireless work promoting democratic rights for the people of Venezuela and for her struggle to achieve a just and peaceful transition from dictatorship to… pic.twitter.com/Zgth8KNJk9
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