सीजेआई पर जूता फेंकने के मामले में आप का प्रदर्शन, बीजेपी पर संविधान के अपमान का आरोप
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सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की घटना के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया है।

मंगलवार को आप कार्यकर्ताओं ने जूता फेंकने का प्रयास करने वाले वकील राकेश किशोर के मयूर विहार स्थित घर के बाहर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने इसे दलित विरोधी मानसिकता का प्रतीक बताते हुए बीजेपी पर ऐसे तत्वों को संरक्षण देने का आरोप लगाया। प्रदर्शनकारियों ने सीजेआई पर हमला, संविधान पर हमला! और आरएसएस मानसिकता बंद करो! जैसे नारे लगाए।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट नंबर 1 में सुनवाई के दौरान 71 वर्षीय वकील ने जस्टिस गवई की बेंच पर जूता फेंकने की कोशिश की। घटना तब हुई जब सीजेआई जस्टिस के. विनोद चंद्रन के साथ मेंशनिंग हियरिंग कर रहे थे। वकील राकेश किशोर ने जूता निकाला और सीजेआई की ओर फेंकने की कोशिश की, लेकिन जूता बेंच तक नहीं पहुंचा। सुरक्षाकर्मियों ने उसे तुरंत पकड़ लिया और बाहर ले गए। वकील चिल्ला रहा था, सनातन का अपमान नहीं सहेगे।

सीजेआई गवई ने शांत रहते हुए कहा, इन बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। वकीलों, ध्यान भटकाओ मत, सुनवाई जारी रखें। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने वकील को तुरंत सस्पेंड कर दिया। दिल्ली पुलिस ने पूछताछ की, लेकिन सीजेआई के निर्देश पर कोई केस दर्ज नहीं किया गया। वकील को शाम तक रिहा कर दिया गया।

वकील ने कहा कि सीजेआई गवई के 16 सितंबर के फैसले ने सनातन धर्म का अपमान किया। सीजेआई ने मध्य प्रदेश के खजुराहो के जावरी मंदिर में क्षतिग्रस्त 7 फुट ऊंची भगवान विष्णु मूर्ति के पुनर्निर्माण की पीआईएल खारिज करते हुए कहा था, ये पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन है। देवता से ही कहो कि वो कुछ करे। बेंच ने कहा कि मंदिर एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के अधीन है, और पीआईएल में दखल नहीं।

यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जहां कुछ लोगों ने इसे हिंदू भावनाओं का अपमान बताया। 18 सितंबर को सीजेआई ने सफाई दी, मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। मेरा बयान एएसआई के अधिकार क्षेत्र के संदर्भ में था।

वकील राकेश किशोर दिल्ली के मयूर विहार के निवासी हैं और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के रजिस्टर्ड मेंबर हैं। पूछताछ में किशोर ने कहा, सीजेआई के बयान से आहत था। सनातन का अपमान सहन नहीं। पछतावा नहीं। उन्होंने कहा, मेरा नाम डॉ. राकेश किशोर है। मेरी जाति कौन बताएगा? शायद मैं भी दलित हूं। लेकिन सीजेआई पहले सनातनी हिंदू थे, बाद में बौद्ध बने। किशोर को बीसीआई ने सस्पेंड कर दिया है।

आप कार्यकर्ताओं ने मयूर विहार में किशोर के घर के बाहर धरना दिया। एक आप नेता ने कहा, ये घटना सीजेआई गवई का नहीं, बल्कि पूरे दलित समाज और संविधान का अपमान है। आरएसएस-बीजेपी की मानसिकता से प्रेरित वकील को संरक्षण मिला। प्रदर्शन में जूता फेंकने वाले को सजा दो और दलित सीजेआई जिंदाबाद! जैसे नारे लगाए गए। आप ने बीजेपी पर हमला बोला कि ये मनुवादी सोच का परिणाम है।

यह घटना सुप्रीम कोर्ट की गरिमा को चुनौती देती है। सीजेआई गवई की शांति ने सबको प्रभावित किया, लेकिन वकील किशोर का सस्पेंशन और प्रदर्शन राजनीतिक रंग ले चुके हैं।

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