डोनाल्ड ट्रंप, दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के नेता, नोबेल शांति पुरस्कार पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। उनका मानना है कि अगर उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिलता, तो यह अमेरिका का अपमान होगा।
ट्रंप का कहना है कि उन्होंने इजरायल-गाजा संघर्ष को समाप्त कराने की योजना बनाई है और कुछ ही महीनों में आठ संघर्षों को सुलझा लिया है। उनका दावा है कि यह शानदार है और कोई ऐसा कभी नहीं कर पाया। फिर भी, उन्हें नोबेल पुरस्कार नहीं मिलेगा।
विशेषज्ञों की राय अमेरिकी राष्ट्रपति की ख्वाहिश से बिलकुल अलग है। सवाल यह है कि दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए ट्रंप के प्रयासों के बावजूद उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार क्यों नहीं मिल सकता?
नॉर्वे की संसद ने पांच सदस्यीय कमेटी की स्थापना की है। यह कमेटी सैकड़ों या हजारों नामों की छंटनी करती है और देखती है कि उम्मीदवार का शांति में कितना योगदान रहा है और उनके योगदान का असर कितना लंबा होगा। यह प्रोसेस कई महीनों तक चलती है और यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि नाम के पीछे राजनीतिक जोर तो नहीं है।
हेनरी जैक्सन सोसाइटी के इतिहासकार थियो जेनोउ के अनुसार, ट्रंप की पहलों का अभी तक कोई स्थायी प्रभाव नहीं दिखा है। उन्हें नहीं लगता कि कमेटी जलवायु परिवर्तन में विश्वास न करने वाले किसी व्यक्ति को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार देगी।
ट्रंप की नोबेल पुरस्कार पाने की बेताबी का सबसे बड़ा कारण बराक ओबामा हैं, जिन्हें यह पुरस्कार मिला था। ट्रंप को लगता है कि अगर ओबामा को यह पुरस्कार मिल सकता है, तो उन्हें क्यों नहीं?
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्रंप को इस पुरस्कार के लिए नॉमिनेट कर दिया। पाकिस्तान अपने आर्थिक हित साधने के लिए ट्रंप को इस पुरस्कार के योग्य बता रहा है। पाकिस्तान का दावा है कि भारत-पाकिस्तान सैन्य झड़प के दौरान ट्रंप ने कूटनीतिक पहल और मध्यस्थता की और एक बड़ा युद्ध टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हालांकि, भारत का कहना है कि सैन्य कार्रवाई को रोकने में ट्रंप की कोई भूमिका नहीं है।
ट्रंप ने आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष खत्म कराने के लिए दोनों नेताओं को वॉशिंगटन बुलाया, लेकिन किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं हुए। फिर भी ट्रंप ने घोषणा कर दी कि उन्होंने दोनों देशों के बीच सुलह करा दिया। उन्होंने कंबोडिया और थाईलैंड के बीच गोलीबारी की घटना को युद्ध करार दिया और दावा किया कि उनकी वजह से दोनों देशों ने संघर्ष विराम का फैसला किया। हालांकि, सच्चाई यह है कि आसियान देशों की पहल पर दोनों देशों ने शांति की पहल की।
ट्रंप का गाजा पीस प्लान काम करता दिख रहा है। इजरायल बंधकों को रिहा करने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की धमकी काम कर गई है। हमास सभी बंधकों को, चाहे वे जिंदा हों या मृत, सभी को रिहा करने के लिए तैयार हो गया है। उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही गाजा पट्टी में शांति बहाल हो सकती है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी के अनुसार, विश्व शांति के लिए ही ट्रंप ने ईरान की न्यूक्लियर फैसिलिटीज पर स्ट्राइक का आदेश दिया था। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कहा कि अमेरिका ने ऐसा करके इजरायल-ईरान युद्ध की आग में घी डालने का काम किया था।
नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा 10 अक्टूबर को होगी। पुरस्कार किसे मिलेगा यह सिर्फ नोबेल कमिटी ही जानती है। दुनिया की निगाहें अब 10 अक्टूबर पर टिकी है, जब विजेता के नाम का ऐलान होगा।
Trump couldn’t get a deal with Putin (duh).
— Kaivan Shroff (@KaivanShroff) August 15, 2025
Anyways, here’s Obama with his Nobel Peace Prize. pic.twitter.com/4RyEk62Vn4
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