क्या अमेरिका की बंदूक बांग्लादेश के कंधे से भारत पर निशाना साध रही है?
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बांग्लादेश में हलचल मची है। चटगांव का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जहाँ अमेरिकी सैनिकों की एक बड़ी टुकड़ी पहुँची है। 120 अमेरिकी सैनिक 10 सितंबर को बांग्लादेश पहुँचे, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि उनके होटल में रुकने की कोई एंट्री नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि चटगांव के जिस फाइव स्टार होटल में अमेरिकी सैनिक रुके थे, वहाँ मेहमानों के रजिस्टर में कोई एंट्री नहीं की गई है। सवाल उठ रहा है कि क्या छिपाने की कोशिश की जा रही है?

बांग्लादेश के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमेरिकी सैन्य दल PACIFIC ANGEL 2025 नामक एक संयुक्त युद्धाभ्यास में भाग ले रहा है। इसमें बांग्लादेश और अमेरिका के साथ श्रीलंका की वायुसेना भी शामिल है। कुल 242 सैनिक इस युद्धाभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं।

पिछले 4 महीनों में यह दूसरी बार है जब अमेरिकी सैनिक बांग्लादेश पहुंचे हैं। इससे पहले मई 2025 में अमेरिकी फौज कॉक्स बाजार पहुंची थी।

अगर पिछले तीन सालों के रिकॉर्ड को देखें तो बांग्लादेश और अमेरिका के सैन्य गठजोड़ में एक चौंकाने वाला तथ्य नजर आएगा। 2023 में जब शेख हसीना का शासन था, तब दोनों देशों की सेनाओं के बीच 3 संयुक्त युद्धाभ्यास हुए थे। 2024 में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद भी 2 युद्धाभ्यास हुए, और अब जब बांग्लादेश पर मोहम्मद यूनुस की पकड़ मजबूत हो चुकी है, तो 2025 के 9 महीनों के अंदर ही 3 साझा युद्धाभ्यास हो चुके हैं।

आमतौर पर संयुक्त जंगी अभ्यास में दोनों देशों की सेनाएं बारी-बारी से एक-दूसरे के यहां जाती हैं, लेकिन 2025 में तीनों बार बांग्लादेश ही मेजबान बना है। इतना ही नहीं, मेजबान देश के सैनिक ज्यादा होते हैं, लेकिन इस युद्धाभ्यास में अमेरिकी सैनिकों की संख्या ज्यादा है।

सामरिक हलकों में सवाल उठ रहा है कि क्या युद्धाभ्यासों के जरिए अमेरिकी सेना को यूनुस बांग्लादेश की भौगोलिक परिस्थितियों और चुनौतियों का रणनीतिक अनुभव दिला रहे हैं?

वर्तमान सैन्य अभ्यास के लिए चटगांव हिल ट्रैक्ट्स को चुना गया है, जो म्यांमार की सीमा के नजदीक है। इस इलाके में रोहिंग्या मुस्लिम बसे हुए हैं और यह भारत के पूर्वोत्तर में स्थित मिजोरम और मणिपुर से भी बॉर्डर साझा करता है। यही वजह है कि बांग्लादेश में अमेरिकी सेना की मौजूदगी पर भारत के सामरिक हलकों की नजर बनी हुई है, क्योंकि म्यांमार का चिन प्रांत वही जगह है, जिसके तार मणिपुर की हिंसा से जुड़े थे।

2024 में दावे किए गए थे कि म्यांमार के चिन प्रांत में कुछ अमेरिकी नागरिक देखे गए थे और वहीं उन अराजक तत्वों की ट्रेनिंग हुई थी जिनका मणिपुर हिंसा में हाथ था। यह भी दावा किया गया था कि चटगांव की पर्वत श्रृंखलाओं में ही बेस बनाया गया था, जहाँ से म्यांमार में अराकान रोहिंग्या सैलवेशन आर्मी जैसे आतंकी गुटों को हथियारों की सप्लाई की जाती थी।

इन सभी तथ्यों को जोड़ने पर एक नई तस्वीर नजर आती है, जो इशारा करती है कि बांग्लादेश में अमेरिकी सेना को न्योता देकर मोहम्मद यूनुस भारत के पूर्वोत्तर और म्यांमार के चिन और रखाइन प्रांतों में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। या फिर ऐसा भी कहा जा सकता है कि यूनुस के कंधे पर बंदूक रखकर पश्चिमी ताकतें भारत और म्यांमार को अस्थिर करना चाहती हैं ताकि दक्षिण एशिया में अमेरिकी प्रभुत्व दोबारा कायम किया जा सके।

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