जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर राजनीतिक नेताओं को नजरबंद किया गया है.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के सज्जाद लोन ने दावा किया है कि उन्हें सोपोर में पूर्व हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन अब्दुल गनी बट के निधन पर शोक व्यक्त करने से रोकने के लिए नजरबंद कर दिया गया है.
नेताओं का कहना है कि यह कदम जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की कठोर और गैर-लोकतांत्रिक वास्तविकता दर्शाता है.
महबूबा मुफ्ती ने एक्स पर पोस्ट कर अपने होम अरेस्ट की जानकारी दी. उन्होंने लिखा कि हजरतबल दरगाह में लोगों का गुस्सा एक बड़ा और साफ संदेश था.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा कश्मीर में शांति या मेल-मिलाप में दिलचस्पी नहीं रखती और जानबूझकर इस सच्चाई को नज़रअंदाज कर रही है.
वरिष्ठ अलगाववादी नेता अब्दुल गनी बट का 89 वर्ष की आयु में सोपोर स्थित उनके पैतृक आवास पर लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था.
वह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के पूर्व चेयरमैन थे. बट ने 1987 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (एमयूएफ) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1993 में ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की सह-स्थापना की थी.
बट कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत के समर्थक थे. उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकारों के साथ बातचीत में भी हिस्सा लिया था.
हाल ही में हजरतबल दरगाह में एक नवीनीकरण पट्टिका पर राष्ट्रीय प्रतीक, अशोक स्तंभ, लगाने को लेकर विवाद खड़ा हो गया था. कुछ लोगों ने इसका विरोध करते हुए उसे तोड़ दिया था.
इस पर कई राजनीतिक दलों ने नाराजगी व्यक्त की और वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष दरख्शां अंद्राबी पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया.
अब्दुल गनी बट के अंतिम संस्कार में शामिल होने से रोके जाने पर कई नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है.
सज्जाद लोन ने कहा कि वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि उन्हें क्यों रोका गया, क्योंकि बट एक शांतिप्रिय व्यक्ति थे.
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मौजूदा चेयरमैन मीरवाइज उमर फारूक ने भी दावा किया कि उन्हें बुधवार रात से ही नजरबंद कर दिया गया था.
उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने बट के परिवार को उनके जनाजे को जल्दी पूरा करने के लिए मजबूर किया और उन्हें अपने 35 साल पुराने दोस्त को अंतिम विदाई देने से भी रोक दिया गया. उन्होंने इस तरह के कदम को असहनीय क्रूरता बताया.
*The decision to place the political leadership under house arrest today, simply to stop us from visiting Sopore to offer condolences on the demise of Professor Abdul Gani Bhat, lays bare the harsh and undemocratic reality in Jammu and Kashmir.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) September 18, 2025
What unfolded at Hazratbal Dargah… pic.twitter.com/M0BmZ276oM
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