पाकिस्तान पर हमला, तो सऊदी भी लड़ेगा साथ! हुआ ऐतिहासिक रक्षा समझौता
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इस्लामाबाद: पाकिस्तान और सऊदी अरब ने एक महत्वपूर्ण रणनीतिक पारस्परिक रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत, यदि किसी भी देश पर कोई हमला होता है, तो उसे दोनों देशों पर आक्रमण माना जाएगा।

यह ऐतिहासिक समझौता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी अरब के शहजादे मोहम्मद बिन सलमान के बीच हुआ। शहबाज शरीफ ने खाड़ी देश की एक दिवसीय यात्रा के दौरान इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।

यह समझौता ऐसे समय में हुआ है, जब कतर में हमास नेतृत्व पर इजराइली हमले हुए हैं। कतर खाड़ी क्षेत्र में अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी है।

समझौते में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी भी एक देश पर आक्रमण को दोनों देशों पर आक्रमण माना जाएगा। इसका उद्देश्य दोनों देशों की सुरक्षा को मजबूत करना और क्षेत्र तथा विश्व में शांति स्थापित करना है। यह रक्षा सहयोग को बढ़ाकर किसी भी संभावित आक्रमण के खिलाफ संयुक्त प्रतिरोध को मजबूत करेगा।

भारत ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर इसके प्रभावों का अध्ययन करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नई दिल्ली में यह बात कही।

सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच लगभग आठ दशक से चले आ रहे ऐतिहासिक संबंध हैं। यह समझौता भाईचारे, इस्लामी एकजुटता और दोनों देशों के बीच साझा रणनीतिक हितों और घनिष्ठ रक्षा सहयोग पर आधारित है।

प्रधानमंत्री शरीफ ने कहा कि उनकी बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई, क्षेत्रीय चुनौतियों पर विचार किया गया और द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर जोर दिया गया। उन्होंने सऊदी क्राउन प्रिंस के निरंतर समर्थन और सऊदी निवेश, व्यापार और व्यावसायिक संबंधों को बढ़ाने में उनकी गहरी रुचि की सराहना की।

शरीफ की सऊदी यात्रा से पहले, विदेश कार्यालय ने कहा था कि पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच गहरे संबंध साझा आस्था, मूल्यों और आपसी विश्वास पर आधारित हैं। यह यात्रा दोनों देशों के नेताओं को इस साझेदारी को मजबूत करने और सहयोग के नए रास्ते तलाशने का अवसर प्रदान करेगी।

शरीफ की यह एक सप्ताह के भीतर खाड़ी क्षेत्र की तीसरी यात्रा थी। इससे पहले, उन्होंने कतर का दो बार दौरा किया था ताकि खाड़ी देश में इजराइल के हमले के बाद दोहा के साथ एकजुटता व्यक्त की जा सके। उन्होंने इस मुद्दे पर अरब-इस्लामी देशों की एक आपात बैठक में भी भाग लिया था।

भारत ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि लश्कर और जैश जैसे आतंकवादी संगठनों को अफगानिस्तान में पनाह न मिले। पाकिस्तान और चीन ने बीएलए और उसकी मजीद ब्रिगेड को आतंकवादी संगठन घोषित करने की मांग की है।

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