भारत का विभाजन 1947 से पहले ही हो गया था? नई किताब में चौंकाने वाला खुलासा!
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इतिहासकार सैम डेलरिंपल की नई किताब शैटर्ड लैंड्स ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के पांच विभाजनों की पड़ताल करती है और कई अज्ञात तथ्यों को उजागर करती है। किताब के अनुसार, भारत का विभाजन 1947 से पहले ही शुरू हो गया था, यह बात दुनिया के कम ही लोग जानते हैं।

1928 में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बर्मा (म्यांमार), नेपाल, भूटान, यमन, ओमान, यूएई, कतर, बहरीन और कुवैत जैसे देश एक ही साम्राज्य के झंडे तले थे। इसे ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य कहा जाता था। इस साम्राज्य में दुनिया की आबादी का एक चौथाई हिस्सा रहता था, जिसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख और पारसी शामिल थे। इन सभी क्षेत्रों में भारतीय रुपया का इस्तेमाल होता था और लोगों के पासपोर्ट पर इंडियन एम्पायर का स्टैंप लगा होता था।

लेकिन अगले 50 वर्षों में यह साम्राज्य खंड-खंड हो गया। पांच विभाजन हुए और कई नए देशों का जन्म हुआ। नक्शे बदले, लड़ाइयां लड़ी गईं और लाखों लोगों की जानें गईं।

डेलरिंपल लिखते हैं कि उस समय ब्रिटेन ने कूटनीतिक कारणों से भारतीय साम्राज्य के आकार को कम करके आंका था। नेपाल और ओमान को वायसराय के अनौपचारिक संरक्षित क्षेत्रों के तौर पर कभी भी आधिकारिक मान्यता नहीं दी गई। कुछ ऐसा ही खेल चीन के तिब्बत और ओटोमन साम्राज्य की सीमा से लगे अरब राज्यों के साथ हुआ, जिन्हें आमतौर पर साम्राज्य के मानचित्रों से पूरी तरह हटा दिया गया था।

फिर भी 1889 के इंटरप्रिटेशन एक्ट के तहत ये सभी संरक्षित क्षेत्र कानूनी रूप से भारत का हिस्सा थे। इनका संचालन भारतीय राजनीतिक सेवा द्वारा किया जाता था, भारतीय सेना इसकी रक्षा करती थी और ये भारत के वायसराय के अधीन थे।

पहला विभाजन 1937 में बर्मा को भारत से अलग करके किया गया था। इसके पीछे जातीय बामर समुदाय की दशकों पुरानी मांग और हिंदू राष्ट्रवादियों की प्राचीन भारत की पवित्र भूमि की सीमाओं से मेल खाने की इच्छा थी। इसके परिणाम विनाशकारी रहे, जिससे अकाल पड़ा और कई विद्रोहों के बीज पड़े।

दूसरा विभाजन भारत से अरब प्रायद्वीप का विभाजन था। उसी साल अदन का विभाजन शुरू हुआ और एक दशक बाद अप्रैल 1947 में फारस की खाड़ी के राज्यों के हस्तांतरण के साथ पूरा हुआ। अगर यह विभाजन न होता तो सऊदी अरब को छोड़कर अरब प्रायद्वीप का अधिकांश भाग स्वतंत्रता के बाद भारत या पाकिस्तान का हिस्सा बन जाता।

1947 में भारत के बहुसंख्यक हिंदू समुदाय और विशाल मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच तनाव का अंत ब्रिटिश भारत के महाविभाजन के रूप में हुआ, जो एक बड़ी त्रासदी के रूप में सामने आया। इस विभाजन में लाखों लोग विस्थापित हुए और मारे गए।

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